राजस्थान में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने के बाद मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री पद की ताजपोशी अशोक गहलोत तथा सचिन पायलट को मिल चुकी है। लेकिन अब प्रदेश की जनता की निगाहें नेता प्रतिपक्ष के पद पर टिकी हुई है। राजनीतिक गलियारों में जारी चर्चा के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में सबसे आगे चल रही है। इसके पीछे राजे का लंबा राजनीतिक अनुभव व बीजेपी विधायकों के साथ अच्छा तालमेल माना जा रहा है। वहीं इस दौड़ में पूर्व मंत्री राजेन्द्र राठौड़ व गुलाबचंद कटारिया जैसे दिग्गज नेताओं का नाम भी चल रहा है। हालांकि इस रेस में वसुंधरा राजे के मुकाबले में अभी कोई नेता नहीं दिख रहा है।

गौरतलब है कि गुरुवार को दिल्ली में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में नेता प्रतिपक्ष पद को लेकर हुई चर्चा में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के साथ पीएम नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्तमंत्री अरुण जेटली और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा समेत बोर्ड के अन्य सदस्य भी मौजूद थे। कुछ लोग ये अफवाह भी फैला रहे है कि वसुंधरा राजे को नेता प्रतिपक्ष की जगह पर लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कोई महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी का प्रभार सौंपा जा सकता है। लेकिन इसमें कोई सच्चाई नजर नहीं आती है।

 

नेता प्रतिपक्ष की जल्द होगी घोषणा

राजस्थान में गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा होने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी जल्द से जल्द नेता प्रतिपक्ष की घोषणा करने की तैयारी में जुटी हुई है। राजस्थान में नेता प्रतिपक्ष के चयन के लिए केन्द्रीय नेतृत्व ने अरुण जेटली और अविनाश राय खन्ना को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। पर्यवेक्षक अब जल्द ही प्रदेश इकाई से विचार-विमर्श करने के बाद नेता प्रतिपक्ष के नाम की घोषणा कर सकते हैं, जिसमें वसुंधरा राजे की सलाह सबसे महत्त्वपूर्ण साबित होगी। ये तो स्पष्ट है कि आलाकमान कोई भी निर्णय राजे की सहमति से नहीं लेना चाहेगा।