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राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जाट समुदाय को आरक्षण देने के लिये चल रहें मसले पर गुरुवार को राज्य के अन्य पिछड़ा आयोग ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। आयोग ने अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने हेतु 1979 में स्थापित हुए मंडल आयोग की सिफारिशों को दरकिनार करते हुए आज की परिस्थिति के आधार पर जाट समुदाय की समृद्धि का आंकलन किया है। आयोग ने छह माह तक सर्वे कर अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री राजे को पेश की है। ओबीसी आयोग की इस रिपोर्ट के आधार पर अब सरकार जाटों को आरक्षण देने सम्बन्धी मांग पर काम करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर इस समुदाय की वास्तविक स्थिति के बारे में पता लगेगा। आरक्षण की श्रेणी में आने पर ही जाट समुदाय को ओबीसी वर्ग में सम्मिलित कर आरक्षण दिया जायेगा।

जाट समुदाय को राहत प्रदान कर सकती है रिपोर्ट:

ओबीसी आयोग ने अपनी यह सर्वे रिपोर्ट पिछले 40 साल में जाट जाति के जीवनस्तर में आये बदलाव को आधार मानकर वर्तमान परिस्थितिओं का आंकलन कर तैयार की है। सूत्रों की मानें तो इस रिपोर्ट के आधार पर दिए जाने वाले निर्णय से जाट समुदाय को राहत मिल सकती है। आयोग द्वारा छह महीने से अधिक समय से चलाये गए इस सर्वे में 13 – 14 हज़ार परिवारों को शामिल किया गया था।

सर्वे में किया गया जीवन के आर्थिक और सामाजिक पहलुओं को शामिल:

राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपने इस सर्वे में प्रदेश के जाट समुदाय के आर्थिक, सामजिक और शैक्षणिक स्तर पर विचारकर अपनी रिपोर्ट बनाई है। आयोग का कहना है कि मंडल आयोग के आधार पर आज आरक्षण के मायने तय नहीं किये जा सकते। आज करीब 40 साल की इस अवधि में देश और प्रदेश के हर वर्ग और हर तबके की मूलभूत परिस्थितियों में बदलाव आया है।

धौलपुर और भरतपुर के निवासी जाटों के आधार पर बनाई गई रिपोर्ट:

राज्य ओबीसी आयोग ने अपनी इस सर्वे रिपोर्ट में धौलपुर और भरतपुर के सभी गाँव जिनमें जाट समुदाय निवास करता है, उनका सर्वे किया है। इन गाँवों में बसने वाली जाट आबादी की कम से कम 10% जनसँख्या पर आयोग ने सर्वे किया। सर्वे में शामिल प्रत्येक परिवार से अनेकों तरह की जानकारी मांगी गई। ज़मीन- जायदाद के आधार पर आर्थिक स्थिति मापन के लिए गाँव के पटवारी, ग्रामसेवक आदि राजस्व अधिकारियों से दस्तावेज़ों का सत्यापन कराया गया।