अपने राजस्थानी में एक कहावत है, आपने तो सुनी ही होगी। चलो फिर भी बता देते हैं। कहावत है… “चूहों को अगर हल्दी की गांठ मिल जाती है, तो वे अपने आपको पंसारी समझ बैठते हैं।” ठीक ऐसा ही राजस्थान सरकार के साथ हो रहा है। कांग्रेस पार्टी ने जैसे-तैसे, उठा-पटक करके, भाग दौड़ करके, और हाथ-पांव जोड़ के सरकार तो बना ली। मगर यही सरकार अब कांग्रेस के लिए गले की फांस भी बन सकती है। क्योंकि राजस्थान सरकार फ़िलहाल “अशोचिन गहलट” नाम की नाव में सवार है, जो दूर से देखने पर तो एक ही दिखायी देती है, मगर नज़दीक जाकर देखने पर पता चलता है कि ये तो दो अलग-अलग नाव हैं। और हर  समझदार नागरिक ये भलीभांति जानता है कि दो नावों की सवारी करने पर क्या होता है? ठीक यही हाल राजस्थान का है। कांग्रेस की सरकार को बने 15 दिन भी नहीं हुए और प्रदेश की बदहाली की धुंधली सी तस्वीर उभरने लगी है। चलो हम आपको एक एक करके बताते है क्या चल रहा है।

महंगाई सिर उठाने लगी है –

अब ये बात तो ख़ुद से समझने वाली है ना कि कोई किसी को फोकट में कोई चीज़ देता है, तो बदले में वो स्वयं भी तो कुछ प्राप्त करने की लालसा रखता होगा ना। राजस्थान की जनता ने कर्ज़ माफ़ी के झांसे में आकर कांग्रेस को सत्ता तो दे दी और कांग्रेस ने अपनी नाक रखने के लिए किसानों का कर्ज़ माफ़ भी कर दिया। लेकिन किसी ने ये अंदाज नहीं लगाया कि कांग्रेस इतना पैसा लाएगी कहां से कि कर्ज़ माफ़ करने के बाद भी राज्य की सभी व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार के पास पर्याप्त धन उपलब्ध हो। तो अब क्या होगा? अब वही होगा जो मंज़ूर-ऐ-कांग्रेस होगा। अर्थात कांग्रेस ने जितने भी किसानों के कर्ज़ माफ़ किये हैं या और भी कुछ मुफ़्त वाली चीज़े जनता को देगी, उनका का भुगतान भी अप्रत्यक्ष रूप से जनता ही करेगी। क्योंकि सीधे मुंह तो कांग्रेस जनता से पैसा मांग नही सकती। जैसे चुनावों के लिए चंदा मंगा था। तो कांग्रेस क्या करेगी? कांग्रेस सबसे पहले तो “टैक्स” यानी “कर” बढ़ाएगी। अब जब “टैक्स” बढ़ जाएगा तो मूलभूत सुविधाओं की कीमतें अपने आप बढ़ जाएगी। नतीजा “महंगाई”। जिस महंगाई के मुद्दे पर कांग्रेस ने कुछ महीनों पहले भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ राजस्थान विधानसभा का घेराव किया था। आज वही महंगाई कांग्रेस जनता पर ख़ुद थोपने जा रही है। वरना जो कांग्रेस पैट्रोल-डीज़ल की कीमतों को लेकर भाजपा को आये दिन मंगलवचन सुनाती थी, आज पैट्रोल-डीज़ल की कीमतें 15 रुपये तक कम हो जाने पर बोलती बंद करके क्यों बैठी है?

बड़े स्तर पर हवाला कारोबार होगा –

अब चूंकि जनता को बेवकूफ़ बनाना पहले जितना आसान नहीं रहा तो कांग्रेस अपनी कमाई के और भी रास्ते निकलेगी। जैसे अवैध वसूली, कालाबाज़ारी, हवाला का धंधा आदि आदि। ये तो सबको याद ही होगा कि कांग्रेस की पछली सरकार में ब्लैकमेल की घटनाएं सबसे ज़्यादा हुई थी। चिकित्सक विभाग, खनन विभाग, खाद्य विभाग, डेयरी विभाग में जमकर ब्लैकमेलिंग हुई थी। इसके अलावा जनता से अवैध वसूली भी ख़ूब की गई थी। वही हालात अब होने वाले हैं। जिसकी शुरुआत हो चुकी है। प्रदेश में घी के दाम बढ़ा दिए गए हैं। धौलपुर में बजरी माफ़िया ने पंख फैला दिए हैं। जैसे-जैसे दिन गुजरते जायंगे हालात और बदतर होते जाएंगे। विकास के नाम पर जनता को लूटा जाएगा। सुविधाएं कम कर दी जाएंगी या महंगी कर दी जाएंगी।

प्रदेश का जीनव चक्र टूट जाएगा –

जीवन चक्र के बारे में तो अपने पढ़ा ही होगा। जिस प्रकार जीवन चक्र में सभी चीज़े एक-दूसरे पर निर्भर करती हैं। उसी प्रकार सरकार में भी कई घटनाएं एक दूसरे पर निर्भर करती हैं। जब एक घटना घटती है, तो उससे दूसरी घटनाएं भी प्रभावित होती हैं। आज कांग्रेस ने किसानों का कर्ज़ तो माफ़ कर दिया। मगर यूरिया की कीमतें बढ़ा दी है। 250 से 300 रुपये में मिलने वाला यूरिया का आज 700 रुपये में मिल रहा है। वो भी 3-3 दिन तक लाइन में खड़े रहने के बाद। ऊपर से इस बात की कोई गारंटी नही की लाइन में लगने के बावजूद भी प्रत्येक किसान को यूरिया मिल जाए। ऐसे ने कांग्रेस सरकार ने किसानों के साथ खूब दोगला व्यवहार किया है। लेकिन अब किसान क्या करें? कर्ज़ माफ़ी की ख़ुशी मनायें या फिर यूरिया नही मिल पाने की वज़ह से चौपट हो रही आने वाली फ़सल का मातम। किसान के साथ तो हमेशा से ही छलावा हुआ है। अब अगर किसान की खेती ही बर्बाद हो जाएगी तो किसान खायेगा क्या? पूरे प्रदेश का पेट भरने वाला अन्नदाता खुद भूखा रह जायेगा, तो बाकी जनता का पेट किससे भरेगा, और भूखे पेट तो भजन भी नही होता। ऐसे में खेती नही होगी तो राज्य का सम्पूर्ण जीवन तंत्र गड़बड़ा जाएगा। फिर क्या कांग्रेस सरकार जनता की भूखमाफी करेगी?

स्वच्छ भारत का इरादा रह जायेगा आधा –

महात्मा गांधी जी के क़दम चिन्हों पर चलकर पधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की है, वो अब अधर झूल में लटक सकती है। क्योंकि सत्ता कांग्रेस के हाथों में है और अभियान भाजपा सरकार का। ऐसे में इस बात का पूरा विश्वास है, कि राजधानी जयपुर की सफ़ाई व्यवस्था अब भगवान भरोसे है। आज ही शहर के नए मेयर मनोज भारद्वाज ने सुबह 11 बजे सफ़ाई व्यवस्था को बनाये रखने के लिए बैठक बुलायी। लेकिन उसमें एक भी अधिकारी नही पहुंचा। क्योंकि सारे अधिकारी कांग्रेस के तलब किये हुए जो हैं। ऐसे में जो जिसकी खायेगा उसी की बाजए का भी तो सही। बाकी तो सब जानते हैं ना कि “अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता।” फिर कांग्रेस को क्या फिकर सफ़ाई हो ना हो क्या फ़र्क पड़ता है। क्योंकि माननीय उप-मुख्यमंत्री श्री सचिन पायलट साहब जी तो यही कहते आये हैं ना कि मुख्यमंत्री कोई भी बने क्या फ़र्क पड़ता है, बस सरकार कांग्रेस की बननी चाहिए।
अब क्या करें विधी के विधान को जो मंज़ूर है वो तो होकर रहेगा। कांग्रेस सरकार के पास कोई पुख़्ता कार्य योजना नहीं हैं तो भाजपा सरकार के द्वारा किये गए कार्यों को ही एक बार फिर से करने की अनुमति प्रदान कर दी है। ऊपर से सबसे बडी घटना ये हो गयी कि जो वादे कांग्रेस ने चुनावों से पहले किये गए थे, उन पर कांग्रेस के मंत्रिमंडल ने आज फिर से चर्चा की है। ऐसे में कई ऐसे वादों को दरकिनार किया जा सकता है, जिन्हें पूरा करना कांग्रेस के बूते से बाहर हो या फिर जिन्हें पूरा करके कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़े।
Author
Mahendra