organ-transplantदेश में हर महीने दो लाख लोगों को अंग प्रत्यारोपण की दरकार होती हैं प्रत्येक मिनट 15 लोगो की मृत्यु ऑर्गन फैल्योर के कारण हो जाती हैं। राजस्थान जैसे प्रदेश में अंग दान करने के लिए लोग जागरूक नही हैं लेकिन राजस्थान सरकार के जागरुकता एंव प्रयासों के बाद राजस्थान ने अंग प्रत्यारोपण के क्षेत्र में सरहानीय कार्य किए हैं। अंग प्रत्यारोपण में तमिलनाडु सबसे आगे हैं वहां 2008 से अब तक 820 से ज्यादा कैडेवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं लेकिन राजस्थान इस मामले में कही पीछे हैं। राजस्थान सरकार के प्रयासों और जागरुकता के बाद प्रदेश में 2014 से अब तक 12 कैडेवर ट्रांसप्लांट हो चुके हैं।

हाल ही में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में राजस्थान के जयपुर को अंग प्रत्यारोपण हेतु सर्वश्रेष्ठ उभरता हुआ शहर, एसएमएस हास्पिटल को देश का अंग प्रत्यारोपण हेतु सर्वश्रेष्ठ उभरता हुआ अस्पताल एवं पहले कैडेवर आर्गन डोनर 6 वर्षीय मोहित को सर्वश्रेष्ठ अंगदाता का पुरस्कार प्रदान किया है।

दिल्ली में आयोजित समारोह में अंग प्रत्यारोपण के लिये प्रदेश के नोडल अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा ने जयपुर व एसएमएस का पुरस्कार प्राप्त किया एवं स्व. मोहित का पुरस्कार उनके पिता कल्याण सहाय को प्रदान किया। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने इस उल्लेखनीय सफलता के लिये अंग प्रत्यारोपण से जुड़े सभी व्यक्तियों एवं एसएमएस प्रशासन को बधाई दी है।

प्रदेश में अब तक 15 कैडेबर डोनेशन से 50 अंग प्रत्यारोपित हो चुके हैं। इनमें 26 किडनी, 14 लीवर, 5 ह्रदय, 8 र्कानिया, 2 हार्ट वाल्व एवं त्वचा शामिल है। डॉ. भावना जगवानी द्वारा नवजीवन संस्थान के माध्यम से अंग प्रत्यारोपण के लिये आयोजित जागरूकता एवं परार्मश कार्यक्रम की सराहना की।

ब्रेन डेड घोषित नहीं करना समस्या

कैडेवर आर्गन डोनेशन में सबसे बड़ी समस्या है कि मरीज को ब्रेन डेड घोषित नहीं करना है। ऐसे में ट्रांसप्लांट कम हो पाता है। इसके लिए डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ को ट्रेंड करना और अस्पतालों को तैयार करना होगा।

छह अंग बाहर भेजने पड़े

विश्व में सबसे ज्यादा ट्रांसप्लांट दर स्पेन की है। वहां 35 ट्रांसप्लांट प्रति दस लाख व्यक्ति की दर से हो रहे है, जबकि भारत में यह दर 0.3 प्रति दस लाख है। राजस्थान में केवल 12 कैडेवर मरीजों के ट्रांसप्लांट हुए है। इनके 34 अंग निकाले गए। इसमें से 28 अंग प्रदेश में दूसरे मरीजों में प्रत्यारोपित हुए है, जबकि 6 अंग चंड़ीगढ़ व दिल्ली भेजे हैं।