Rajasthan Gurjar Reservation Movement

किसी ने क्या ख़ूब कहा है। अगर कीमत सही लगयी जाए तो किसी को भी ख़रीदा जाए सकता है, और रक़म ज़्यादा हो तो कोई भी बिकने को तैयार हो जाता है। वैसे तो मीडिया का काम देश, विदेश और प्रदेश में हो रहे किसी भी घटनाक्रम की ताजा ख़बर आम जन तक, सच्चाई के साथ और सही वक़्त पर पहुंचाना होता है। लेकिन जब मीडिया ही जनता के साथ छलावा करे तो फिर जनता की आस किससे रहेगी।

जहां एक ओर तो राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन की आग में झुलस रहा वहीं दूसरी ओर हमारा मीडिया आरक्षण आंदोलन और प्रदेश से जुडी ख़बरें कम और लखनऊ में चल रहे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रैली को ज़्यादा दिखा रहे हैं। अब अगर ये रैली राजस्थान में होती तो फिर भी मान लेते कि चलो भाई ठीक है, प्रदेश की ही ख़बर है। चला देते हैं। लेकिन जब रैली ना तो प्रदेश में है और ना ही प्रदेश के लिए। फिर क्यों हर दो मिनट में बेबी और बाबा की ताजा अपडेट दिखाई जा रही हैं। कहीं दाल में कुछ काला तो नहीं है।

चार दिन से गुर्जर पटरी पर हैं, और प्रदेश बेपटरी

राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन पिछले चार दिनों से चल रहा है। गुर्जरों ने आंदोलन शुरू करने से पहले ही चेतावनी दे दी थी, कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं की जाएगी तो वे राज्यस्तरीय ही नहीं देशव्यापी आंदोलन करेंगे। प्रमुख रेल मार्गों और सड़क मार्गों को तो गुर्जरों ने पहले से ही बंद कर दिया था। लेकिन आज राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन के मुख्य संचालक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने स्पष्ट रूप से कह दिया कि अगर उनकी बात नहीं मानी जायेगी तो वे राजधानी जयपुर का राज्य के बाकी ज़िलों से संपर्क पूरी तरह से काट देंगे। फिर ना तो कोई भी व्यक्ति किसी भी तरीके से राजधानी से संपर्क नहीं कर पायेगा।

पटरियों पर बैठे गुर्जर आरक्षण आंदोलनकारी
पटरियों पर बैठे गुर्जर आरक्षण आंदोलनकारी

इसी आरक्षण आंदोलन के चलते हुए कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला हज़ारों गुर्जर समाज के समर्थकों के साथ सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर क्षेत्र में रेलवे लाइन पर बैठे हुए हैं। जिसकी वजह से ही आज चार दिनों से दिल्ली-मुंबई रेलवे मार्ग बुरी तरह से प्रभावित है। चार दिनों से ना तो कोई ट्रैन उस ट्रैक से गुजरी है, ना ही गुर्जर किसी ट्रैन को वहां से गुजरने की मंजूरी देने के मूड में हैं। वो तो बस वहां डेरा दाल के बैठे हैं, और दाणा-पूड़ी बनाकर खा रहे हैं। जबकि उनकी वजह से देश प्रदेश के हज़ारों लोग परेशान तो हो ही रहे हैं, साथ ही सरकार को करोड़ों रुपये व्यवसायिक घाटा हो रहा है।

सचिन सत्ता में मस्त, राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन से पस्त

आज शायद आपको भी वो दिन आ जाये जब सचिन पायलट चुनावी रैलियों में दहाड़े मार मार कर कहते थे, भाजपा सरकार ने देश में आराजकता फैलाई है। हमारी सरकार आयी तो सबको सामान अधिकार देंगे। साथ ही कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी लिखित में ये घोषणा की थी कि गुर्जरों के साथ-साथ अन्य पांच जातियों को भी 5% आरक्षण दिया जायेगा। और अंत में सचिन पायलट ने वोटबैंक की राजनीति अपनाते हुए कह दिया था…

समाज का साथ रहा तो मैं अकेला ही कबड्डी खेल जाऊंगा!

सचिन पायलट के इसी झांसे में आकर प्रदेश के सम्पूर्ण गुर्जर समाज ने एक तरफा मतदान करते हुए राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनायी। लेकिन सरकार बनाए जाने के बाद गुर्जर समाज की जो उम्मीदें सचिन पायलट से थीं, सचिन पायलट उनसे भागते हुए साफ़ दिखाई दे रहे हैं। तभी तो पिछले चार दिनों से चल रहे राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन और आंदोलन की आग में सुलगते प्रदेश के बारे में अभी तक एक भी बयान नही दिया है।

आगे स्थिति और भी ज़्यादा भयावह हो सकती है

अभी तो मात्र चार दिन हुए हैं और सैंकड़ों ट्रेनें स्थगित की जा चुकी है। हज़ारों यात्री बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर फंसे पड़े हैं। 80 हज़ार से ज़्यादा तो रेल यात्री हैं, जो राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन के कारण परेशान हैं। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हालत और भी ज़्यादा ख़राब हो सकते हैं, और प्रदेश बद से बदतर हालत में पहुँच सकता है। अभी तो सिर्फ़ सरकारी यातायात को बंद किया है, लेकिन ऐसा ही चलता रहा तो प्रदेश में जगह-जगह आगजनी, लूट और सार्वजानिक संपत्ति को छतिग्रस्त करने की घटनाएं और ज़्यादा बढ़ सकती हैं। अब तक करौली, धौलपुर, दौसा, भरतपुर सहित सवाई माधोपुर के मलारना डूंगर में धारा 144 लगा दी गयी है। आंदोलनकारियों को रोकने पर धौलपुर में तीन पुलिस वाहनों में आग लगा दी गयी जिसमें 6 पुलिसकर्मी घायल हो गए।

गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान लगायी गयी वाहनों में आग
गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान लगायी गयी वाहनों में आग

प्रदेश में होने वाली कई प्रतियोगी परीक्षाओं को निरस्त कर दिया गया है। इस घटना को देखते हुए साल 2007 का पहला गुर्जर आरक्षण आंदोलन और 2016 का हरियाणा जाट आरक्षण आंदोलन याद आता है। जब आरक्षण आंदोलन के नाम पर गुर्जर और जाटों ने प्रभावित इलाक़ों से निकलने वाले लोगों को लूट लिया जाता था। विरोध करने वालों को मार दिया गया और अगर साथ में कोई महिला या लड़की थी तो उसका बलात्कार करके मार दिया गया। जी हाँ हम अपने शब्द फिर से दोहराते हैं… “अगर साथ में कोई महिला या लड़की थी, तो उसका बलात्कार करके मार दिया गया।” और आज राजस्थान में एक बार फ़िर वही सब होने की पूरी तैयारियां हो चुकी है।

बैंसला राज्य सरकार और राज्य सरकार, केंद्र सरकार के ऊपर

इस राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन की समस्या को हल करने के बजाय सब एक दूसरे पर इसको टालने की कोशिश कर रहे हैं। जब राजस्थान गुर्जर आरक्षण आंदोलन के प्रमुख किरोड़ी सिंह बैंसला से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जब तक वो सरकार जिसने हमसे आरक्षण देने का वादा किया था, हमें 5% आरक्षण नहीं दे देती हम यहाँ से हटने वाले नहीं हैं। यानी कि इशारा सीधा-सीधा कांग्रेस सरकार की तरफ़ है। वहीं इस मामले में उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने तो अब तक कुछ नहीं कहा।

मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मामला केंद्र सरकार पर टालते हुए कह दिया कि आरक्षण देने का फैंसला करना हमारे बस की बात नहीं केंद्र सरकार के हाथ में है। अरे मुख्यमंत्री गहलोत साहब जब आपके हाथ में कुछ नहीं है और आप कुछ नहीं कर सकते तो फिर चुनावी घोषणा पत्र में किस पंडित से पूछ कर लिख दिया। सीधी सी बात है जो काम हाथ में नहीं उसमें हाथ डालने की जरुरत ही नहीं थी न। अब आपने प्रदेश की ज़िम्मेदारी संभाली है, तो राज्य को हो रहे नुक़सान और जनता को हो रही दिक्क़तों की पूरी-पूरी ज़िम्मेवारी सिर्फ़ और सिर्फ़ आपकी है।

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