राजस्थान सरकार प्रदेश में पानी की कमी को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास करती दिख रही है। राजे सरकार का मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान पहले ही काफी सराहा जा रहा है। अब प्रदेश में तेजी से गिरते भू-जल स्तर के बाद गहराते पेयजल संकट से निपटने के लिए जलदाय विभाग की ओर से दो विजन बनाए गए हैं। विभाग ने विजन-2022 और विजन-2030 तैयार किया किए हैं। इसके तहत शहरी क्षेत्र में 222 शहरों में नॉन-रेवन्यू वाटर को कम करने के साथ ही ‘एस्को मॉडल’ को बढ़ावा दिया जाना है। साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में क्वालिटी प्रभावित और पेयजल से वंचित हैबिटेशन्स को सतही पेयजल योजनाओं से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
40 प्रतिशत पानी की छीजत को घटाकर 10 प्रतिशत लाने का लक्ष्य
राज्य सरकार के जलदाय विभाग के मिशन-2022 के तहत प्रदेश के 222 शहरों में 40 प्रतिशत पानी की छीजत को नॉन रेवन्यू वाटर प्रोजेक्ट के तहत घटाकर 10 प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा गया है। एनर्जी सेविंग के लिए एस्को मॉडल प्रोजेक्ट को बढ़ावा दिया जाने का प्लान है। मिशन- 2022 के तहत राजस्थान के 29 शहरों में नॉन रेवन्यू वाटर और एस्को मॉडल प्रोजेक्ट का कार्य कराया जाएगा। इसके बाद मिशन-2030 के तहत प्रदेश के सभी 222 शहरों में नॉन रेवन्यू वाटर और एस्को मॉडल प्रोजेक्ट को लागू किया जाएगा।
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38 हजार 137 हैबिटेशन्स को सतही पेयजल योजनाओं से जोड़ा जाएगा
जलदाय विभाग की ओर से दूसरे चरण के तहत मिशन-2030 के तहत सभी क्वालिटी प्रभावित हैबिटेशन्स और सभी वंचित 38 हजार 137 हैबिटेशन्स को सतही पेयजल योजनाओं से जाना तय किया गया है। पेयजल समस्याग्रस्त 11 हजार हैबिटेशन्स को राजस्थान वाटर ग्रिड प्रोजेक्ट्स से जोड़ने की भी योजना है। 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये की लागत के इन प्रोजेक्ट्स को लेकर जलदाय विभाग की ओर से पूरी प्लानिंग तैयार कर ली गई है। विभाग की ओर से सालाना 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि इन प्रोजेक्टस पर खर्च की जानी है।