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सवाई मानसिंह अस्पताल में चिकित्सकों की राह देखते मरीज और परिजन। image credit: HT
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सवाई मानसिंह अस्पताल में चिकित्सकों की राह देखते मरीज और परिजन।                    image credit: HT

राजस्थान में सरकारी चिकित्सकों की हड़ताल को आज लगातार छठा दिन है लेकिन अब तक सरकार और सेवारत चिकित्सकों के बीच सुलह नहीं बन पाई है। प्रदेशभर में स्वास्थ्य व्यवस्था बद से बदतर होती जा रही है लेकिन न सरकार और न ही डॉक्टर्स झुकने को तैयार है। गुरूवार को भी सरकारी डॉक्टरों के काम पर नहीं लौटने से लोग परेशान दिखे और सैकड़ों ऑपरेशन टाले गए और अस्पतालों में इलाज के लिए मरीज भटकते नजर आए। हालांकि राजस्थान हाईकोर्ट ने बीच-बचाव करते हुए हड़ताल पर चल रहे सरकारी डॉक्टरों को आदेश दिए थे कि वे तुरंत काम पर लौट आएं, लेकिन खबर लिखे जाने तक इस निर्देश पर कोई पालना होती नजर नहीं आ रही है। उधर, हड़ताल के बाद अंडरग्राउण्ड हुए चिकित्सा संघ के अध्यक्ष अजय चौधरी सहित अन्य अधिकारियों का फिलहाल कोई पता नहीं चल सका है। इधर, प्रदेश में अभी तक रेस्मा लगा हुआ है और डॉक्टर्स की गिरफ्तारी जारी है। अब तक 65 डॉक्टर्स की गिरफ्तारी की सूचना है। राजस्थान सेवारत चिकित्सा संघ के बैनर तले दस हजार सरकारी चिकित्सक हड़ताल पर हैं।

दूसरी तरफ सेवारत चिकित्सक संघ के अधिवक्ता डॉ. महेश शर्मा का कहना है कि चिकित्सक हाईकोर्ट के आदेश से काम पर लौटने के लिए तैयार हैं। लेकिन पहले सरकार उन्हें गिरफ्तारी का डर दिखाना बंद करे। साथ ही गिरफ्तार चिकित्सकों के बेल बॉड स्वीकार करे। चिकित्सकों को वार्ता के लिए बुलाए जाने और मुद्दे को बातचीत से हल करने का प्रयास किए जाने की सरकार से अपील भी की है।

डॉक्टर्स ने तबादलों को मुद्दा बना लिया

आपको बता दें कि पिछले दिनों कुछ डॉक्टर्स का ट्रांसफर किया गया था जिसके बाद से सरकार और चिकित्सा संघ के बीच तनाव शुरू हो गया था। चिकित्सा संघ ने 18 दिसम्बर से कार्य बहिष्कार की घोषणा की थी लेकिन 3 तीन पहले 15 दिसम्बर से ही सेवारत चिकित्सक हड़ताल पर चले गए। ट्रांसफर के मुद्दे पर सराफ ने बताया कि डॉक्टर्स ने तबादलों को मुद्दा बना लिया है। ट्रांसफर करना एक सतत प्रक्रिया है। मंत्री ने कहा कि ट्रांसफर पूछकर करें ये संभव नहीं है। जबकि आंदोलन की धमकी के बाद भी सरकार ने मांगें पूरी की। उन्होंने डॉक्टरों से काम पर वापस लौटने की अपील की है। कल रात मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने इस संबंध में चिकित्सा मंत्री सहित अन्य मंत्रियों की बैठक ली है।

चिकित्सा मंत्री की डॉक्टर्स को वापिस लौटने की अपील

इस बीच सरकार के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने अपना पक्ष रखते हुए डॉक्टर्स से वापिस काम पर लौटने की अपील की है। चिकित्सा मंत्री ने कहा कि ’12 नवंबर को जिन 18 बातों पर चर्चा हुई उनकी क्रियान्विति हुई है। सेवारत चिकित्सकों समेत रेजीडेंट डॉक्टर्स की मांगों पर भी कार्यवाही की जा रही है। 7वें वेतन आयोग के एरियर के भुगतान मामला वित्त विभाग को भेजा गया है। वहीं अन्य मांगों पर एमसीआई नॉर्म्स के आधार पर कार्यवाही होगी। डॉक्टर्स की कुछ मांगे 31 मार्च तक पूरी होनी थी, लेकिन सरकार ने त्वरित गति से पहले ही पूरी कर दिया गया है।’ सराफ ने उन्होंने चिकित्सा संघ से जुड़े पदाधिकारियों के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ पदाधिकारी खुद को कानून से ऊपर मानते हैं। उन्होंने उच्च न्यायालय के आदेश भी नहीं माने। चिकित्सक वर्ग बुद्धिजीवी वर्ग है। उन्हें विवेक से काम करना चाहिए। अड़ियल रवैया नहीं अपनाना चाहिए।

इलाज के अभाव ने 5 की मौत

चिकित्सकों व रेजीडेंट की हठधर्मिता ने प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर 5 की जान ले ली। मृतकों में एक 15 दिन का बीमार नवजात और एक बालिका भी सम्मलित है। बीते माह भी लगातार 7 दिन तक चली चिकित्सकों की हड़ताल ने 30 मरीजों की जान ले ली थी। पिछली बार चिकित्सकों ने तर्क दिया था कि लोगों की तकलीफ के चलते उन्हें वापिस लौटना पड़ा। अभी शायद उन्हें इस संख्या के बढ़ने का इंतजार होगा।

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