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राजस्थान कांग्रेस की टीम
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राजस्थान कांग्रेस की टीम

ढम ढम ढोल बाजे… ढोल बाजे… ढोल बाजे… ढोल। के ढम ढम बाजे ढोल। ये गाना तो सबने सुना ही होगा। जिसमे एक ढोली होता है जो ढोल बजाता है। जैसे जैसे ढोल पर थाप पड़ती है वैसे वैसे वो एक आवाज निकालता जाता है। लेकिन जब ढोल एक हो और बजाने वाले ढोली दो तो मामला थोड़ा गड़बड़ा जाता है। क्योंकि फिर ढोल पर फिर दोहरी मार पड़ती है। ऐसे में या तो ढोल फट जाता है या फिर उसमें से हर बार एक ही तरह की आवाज़ निकलती है। फिर चाहे उस पर दांये से थाप मारो या बांये से। हाथ से मारो या डंडे से। यही वजह है कि फिर ढोल में पोल पड जाती है।

यही हालत फ़िलहाल राजस्थान प्रदेश कांग्रेस पार्टी के साथ हो रहे हैं। राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। सबने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। भारतीय जनता पार्टी ने इसका आगाज़ राष्ट्रिय अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा करवाया। सम्पूर्ण प्रदेश में राजस्थान गौरव यात्रा निकली जा रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जनता के साथ सीधा संवाद कर रही हैं। अपने पांच साल के कार्यों का ब्यौरा लोगों के सामने पेश कर रही हैं। राजस्थान में हुए तमाम विकास और प्रगति से आवाम को अवगत करा रही हैं। वर्तमान में उनकी राजस्थान गौरव यात्रा जयपुर संभाग के दौसा, बांदीकुई विधानसभा क्षेत्रों में जारी है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस भी अस्तित्व में आने की कोशिश कर रही है। जिसके लिए वो राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में संकल्प रैली के नाम पर आधे-आधे दिन के दौरे भी कर रही है। लेकिन ये बात समस्त जनता को पता है कि कांग्रेस में आतंरिक मतभेद चल रहा है। सचिन पायलट और अशोक गहलोत में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर तनातनी चल रही थी। कई बार दोनो ने एक दूसरे के खिलाफ विवादित बयान भी दिए। लेकिन चूँकि अब चुनाव नजदीक आ गए हैं इसलिए दोनों ने आपस में सांठगांठ करके जनता के सामने दोस्ती कर ली है। ताकि जनता को बेवकूफ़ बनाया जा सके। इस बात कि पुष्टि आज खुद कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष राहुल गांधी ने की है। आज डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा में कांग्रेस कि संकल्प रैली थी जहाँ राहुल गांधी भी मौजूद थे।

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राहुल गांधी-कांग्रेस अध्यक्ष

लेकिन राजस्थान ही नहीं पूरे हिंदुस्तान में ये बात सर्वविदित है, की वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के पास कोई कद्दावर नेता नहीं है। ऐसे में जो चाहे वो आकर राहुल गांधी को बजाकर जा रहा है और मज़े कि बात ये है कि राहुल गांधी बज भी रहे हैं। लेकिन पिछले तीन महीने से उनका सुर एक ही राग पर अटका है। राफेल सौदे पर। इसके अलावा उन्होंने एक बात और कही मेक इन इंडिया की। वे बोले कि आज हम जो मोबाइल उपयोग में लेते हैं वो भी चीन में बनता है, और उस पर लिखा होता है मेड इन चाइना। लेकिन उनको ये बात कौन समझाए कि इंडिया में भी मोबाइल बनते हैं। जिन पर मेड इन इंडिया लिखा होता है। या तो वे अब भी चाइना का फ़ोन यूज़ करते हैं, या फिर उनका का सामान्य ज्ञान अच्छा नहीं है। आज कल तो चाइनीज मोबाइल भी इंडिया में ही बनने लगे हैं। ये शायद उनको किसी ने गलत सूचना दी है।

इसलिए ये बात कही जा रही है कि राहुल गांधी एक ढोल बनकर रह गए हैं, जिसको कोई भी कांग्रेसी आकर बजा जाता है, और फिर वो वही सुर निकालने लग जाते हैं। इस बात का पूरा-पूरा फायदा उठा रहे हैं सचिन पायलट और अशोक गहलोत। उनको ढोल के अंदर पोल दिखाई दे रही है। जिसका दोनों मिलकर फायदा उठा रहे हैं। एक तफर तो अशोक गहलोत सोच रहे हैं, कि वरिष्ठता के आधार पर राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए उन्हें चुनावी चेहरा बनाया जा सकता है। वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट सोच रहे हैं कि कांग्रेस के पास और कोई वरिष्ठ नेता नहीं है तो राहुल गांधी अशोक गहलोत को लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल करेंगे। ऐसे में सचिन पायलट स्वयं अपने आप को राजस्थान के मुख्यमंत्री पर के लिए चुनावी चेहरा मान चुके हैं। इसमें राहुल गांधी दोनों तरफ से बजाये जा रहे हैं। लेकिन फिर भी सुर तो उनके मुँह से नरेंद्र मोदी के नाम का ही निकल रहा है।

ऐसे में देखना रहेगा कि आने वाले विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस और कौन-कौन से साज इस्तेमाल करती है और कौन-कौन से सुर छेड़ती है। लेकिन कांग्रेस को अपनी तैयारी थोड़ी तेज करनी पड़ेगी क्योंकि चुनावों से पहले तो नवरात्री आने वाली है। ऐसे में शायद उनको भी कहीं किसी कार्यक्रम में अपने ढोल पीटने का आमंत्रण मिल सकता है। क्योंकि लोगों का मनोरंजन तो ये लोग समय समय पर करते ही रहते हैं।

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