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राहुल गांधी (बीच में) के साथ सचिन पायलट और अशोक गहलोत

11 अगस्त 2018 वो दिन था जब राजस्थान की राजनीति के इतिहास में एक नया हास्यास्पद अध्याय दर्ज़ हुआ। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी का जयपुर दौरा और रोड शो। रोड शो का हिंदी अर्थ होता है ‘सड़क पर दिखावा’ और ये रोड शो भी वास्तव में एक दिखावा ही था। जहाँ रैली में समर्थक कम और किराये की भीड़ ज्यादा थी।

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राहुल गांधी (बीच में) के साथ सचिन पायलट और अशोक गहलोत

दरअसल बात ये है, की राजस्थान में भाजपा सरकार ने जितने भी विकास कार्य किये हैं उनका लेखा-जोखा जनता के सामने रखने और विकास में कहीं कोई कमी तो नहीं रह गयी, ये जानने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान गौरव यात्रा का आयोजन 4 अगस्त शुरू से किया। यात्रा अपने पहले ही चरण में काफ़ी सफल साबित हुई। मुख्यमंत्री राजे तथा गौरव यात्रा को मिले अद्वितीय प्यार व समर्थन एवं गौरव यात्रा की सफलता से जल-भुन कर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी अपने आप को लाचार, कमज़ोर, असहाय, और शक्तिहीन समझ कर बिखरने ही वाली थी। तभी सत्ता में आने के मुंगेरी लाल के जैसे हसीन सपने देखने वाले कुछ कांग्रेसियों ने आनन-फ़ानन में सांठगांठ करके अपने दिशाहीन सेनापति को बुलाकर अपने लोगों में जोश दिलाने की कोशिश की। 11 अगस्त को सेनापति को जयपुर आने का निमंत्रण दे दिया गया। तैयारियां जोर शोर से होने लगी। लेकिन लम्बे समय से तितर बितर पड़ी राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सामने सबसे बड़ी समस्या ये हो गयी की सेनापति जी के सामने ये दिखावा कैसे किया जाये की हमारे पास सेना है।

कांग्रेस के सत्ता लंपटधारियों ने अपना दिमाग़ दौड़ना शुरू किया। लेकिन वो कहते हैं ना की मुल्ला की दौड़ बस मस्जिद तक। कांग्रेसियों का दिमाग़ भी ज्यादा दूर नहीं दौड़ पाया। चूँकि 11 अगस्त को शनिवार था और अमावस्या भी। तो ज़्यादातर मज़दूर उस दिन छुट्टी पर ही थे। अंधे को क्या चाहिए थी? दो आँख। और कांग्रेस को भीड़। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने अपने-अपने स्तर पर बात की और सेनापति जी के स्वागत और रैली के लिए मजदूरों की फ़ौज कड़ी कर दी। उस भीड़ को देखकर अक्कू, पक्कु और सक्कु सबके चेहरों पर मोगेंबो खुश हुआ वाली फीलिंग आ रही थी।

यहाँ तक तो सब ठीक ठाक चल रहा था। रैली शुरू हुई और आगे बढ़ रही थी। लेकिन तभी भीड़ में कुछ लगों की खुसर-पुसर सुनाई दी। चलो भैया अमावस्या की वजह से आज तो छुट्टी हो गयी थी। लेकिन कांग्रेस वालों ने खर्चा-पानी का इंतजाम तो कर ही दिया। भीड़ में इकठ्ठा होने का पूरा 150 रूपया मिल रहा है। ये बात सुनकर किसी विज्ञापन की याद आती है। सिस्का एलईडी लाइट्स नज़ारा बदल जायेगा। लेकिन मात्र 150 रुपए में? अरे 300 रुपए तो न्यूनतम मज़दूरी है। मतलब कांग्रेस की वर्षों से चली आ रही शोषण करने की परपम्परा अभी भी जीवित है।

तो हक़ीक़त ये है, जो भीड़ 11 अगस्त को जयपुर की सड़कों पर एयरपोर्ट से रामलीला मैदान पर दिखाई दी थी। वो किराये पर बुलाई गयी थी। लेकिन घोटालों की पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस ने यहाँ भी 150 रुपए का घोटाला कर दिया। ऊपर से बाल मज़दूरी करवाई सो अलग। भीड़ का 25 प्रतिशत हिस्सा नाबालिगों का था। जिन्हें तो 150 रुपए भी पूरे नहीं दिए गए। ऐसे में कांग्रेस चाहती है, की भाजपा सरकार उन्हें राजस्थान गौरव यात्रा पर होने वाले ख़र्च और पिछले पांच सालो में किये विकास कार्यों का हिसाब बताये। मगर कांग्रेस के नेताओं से किसी ने 11 अगस्त की मनोरंजन यात्रा का हिसाब मांग लिया तो…! कहाँ से देंगे 150 रूपये का हिसाब?

वक़्त की नज़ाकत को देखते हुए लग रहा है, की आधारहीन आरोप लगाना, विचारहीन बयान देना, और अपरिपक्व, दिशाहीन राजनीति करना कांग्रेस का व्यक्तिगत आचरण सा बन गया है। तभी तो राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सदस्य अपना-अपना राग आलापते रहते हैं। चार सालों से गायब ऐसे लोग कहीं मौसमी घटा से प्रतीत होते हैं।

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