पुलवामा अटैक एनकाउंटर
पुलवामा अटैक एनकाउंटर

माना की देश की शासन व्यवस्था को चलाने के लिए राजनीति ज़रूरी है। मगर ठहरो! राजनीति इतनी भी ज़रूरी नहीं कि आप हर जगह राजनीति घुसेड़ दो। पहले 14 फ़रवरी को पुलवामा अटैक में 40 से ज़्यादा जवान शहीद हो गए। फिर उनकी क़ुर्बानी का बदला लेने के लिए आमने-सामने की पुलवामा अटैक एनकाउंटर में और 5 जवान शहीद हो गए। पुलवामा अटैक से तो पहले ही देश घायल था। ऐसे में पांच और जवानों की शहादत की ख़बर ने देश को गहरा आघात पहुंचाया। कहा जा रहा है, कि पुलवामा में सेना के ट्रकों पर हुए हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना के जवानों ने एक ऑपरेशन किया। सेना ने पहले हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन के मास्टर माइंड को मार दिया।

पुलवामा अटैक का पिंगलना में बदला लिया

पुलवामा हमले में जो हुआ सो तो हुआ। लेकिन उसके बाद भी जवान शहीद हो गए। जिससे देश का ग़ुस्सा और बढ़ गया। दो दिन बाद भारत के सुरक्षा बालों को घटना स्थल से ठीक 10 किलोमीटर दूर, पहले हमले की ज़िम्मेदारी लेने वाले आतंकी संगठन, जैश-ऐ-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर का डेप्युटी, मास्टर माइंड ग़ाज़ी रशीद समेत 3-4 आतंकवादियों के छिपे होने की ख़बर मिली थी। जिसे बाद सैन्य सुरक्षा बलों ने पुलवामा अटैक एनकाउंटर किया। 11 घंटे तक चले एनकाउंटर में सभी 3 आतंकियों को मार गिराया। लेकिन… इसमें भी देश ने मेज़र डी. एस. डोंडियाल सहित हवलदार श्योराम, सिपाही अजय कुमार, हरी राम तथा गुलज़ार अहमद को खो दिया। ये सभी 55 राष्टीय राइफल्स के जवान थे। आज राजस्थान के उस वीर को अंतिम विदाई देने के लिए राजस्थान, झुंझुनू, खेतड़ी में हज़ारों की संख्या में लोग आये।

मंत्री जी श्रृद्धांजलि देने गए या पार्टी की डिंग हांकने

उन्हीं हज़ारों लेगों में राजस्थान सरकार में दो मंत्री भी शामिल थे। जो गए तो शहीद को श्रृद्धांजलि देने थे। लेकिन श्रृद्धांजलि देने के साथ-साथ कुछ और भी कर आये। तो फिर मंत्री जी

शहीद श्योराम
शहीद श्योराम

अपने बौद्धिक स्तर पर राजनीति कर ही आये। दरअसल राजस्थान सरकार की ओर से चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खंचारियावास, शहीद श्योराम को श्रृद्धांजलि देने, वीर को अंतिम विदाई देने और उनके परिवार ढांढस बांधने गए थे। लेकिन जैसे एक राजनेता करता है, वही मन्त्रीजियों ने किया। श्रृद्धांजलि देने के बाद दोनों मंत्रियों ने बयान दिए। बाकी सब तो मंत्रीजी ने ठीक-ठाक बोल दिया की देश को जवानों पर गर्व है। हम इनकी शहादत को कभी नहीं भूलेंगे। लेकिन फिर मंत्री जी बोल गए की जब-जब कांग्रेस की सरकार रही है, हमने देश के दुश्मनों को मज़ा चखाया है।

मंत्रीजी ने कहा जब हम विपक्ष में थे, तब भी ऐसी शव यात्राओं में जाते थे। तो फिर अब तो हम सत्ता में है। इसके आलावा परिवहन मंत्री जी ने जम्मू-कश्मीर में लागू अनुच्छेद 370 को हटाने की बात कही। लेकिन फिर उन्हीं की पार्टी के नेता विचार व्यास ने कह दिया की इस मामले में हम कुछ नहीं कर सकते। अगर केंद्र सरकार संसद में अनुच्छेद 370 को हटाने का बिल लाती है, तो विपक्ष और कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेता पहले इस पर चर्चा करेंगे। फिर इसका समर्थन करेंगे। मतलब सीधा सा है, ये लोग यहाँ भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं। अरे जब सवाल देश की सुरक्षा का है, तो फिर क्या पक्ष और क्या विपक्ष। सबको एक साथ ज़ल्द से ज़ल्द इस बिल को लाकर पास कर देना चाहिए। मगर अफ़सोस… राजनीति का है।

शहीद कभी मरा नहीं करते, लौटकर आते हैं

जो देश की रक्षा में अपने प्राण न्योक्षावर करते हैं, ऐसे वीर कभी मरा नहीं करते। वो वीर अमर हो जाते हैं, और लौटकर ज़रूर आते हैं। खेतड़ी, झुंझुनू, राजस्थान के वीर हवलदार श्योराम पिंगलना में शहीद हो गए थे। लेकिन आज जब एक तरफ़ उनको नम आंखों से अंतिम विदाई दी जा रही रही थी। ठीक उसी वक़्त उस वीर जवान शहीद की वीरांगना ने एक कन्या को जन्म दिया। ये क़ुदरत का चमत्कार ही तो है। जहां एक ओर एक जीवन समाप्त हो रहा था, वहीं दूसरी ओर एक नयी ज़िन्दगी के रूप में आशा की नयी किरण फ़ूट रही थी। यही प्रकृति का नियम है। यही जीवन का कटु है…

कुछ फूलों के मुरझाने से उपवन नहीं मारा करता है।

देश की आन, बान और शान में कई लोग मर मिटे। मगर देश भक्ति का ये जज़्बा कभी मिटाये नहीं मिटता है। ये जज़्बा आने वाली कई सदियों तक इन जवानों को इतिहास में हमेशा के लिए अमर कर जायेगा। “तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें ना रहें।”

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