yashpal

भारत के महान वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद् प्रोफेसर यशपाल अब हमारे बीच नहीं रहे। रविवार रात 3 बजे नोएडा के मैक्स अस्पताल में प्रोफेसर यशपाल का निधन हो गया। 90 वर्षीय प्रोफेसर यशपाल के परिवार में पत्नी और दो पुत्र है। प्रोफेसर यशपाल को विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अहम् योगदान के लिए देशभर में जाना जाता है। प्रोफेसर यशपाल ने कॉस्मिक किरणों पर गहन अध्ययन किया था।  विज्ञान से जुड़े मुश्किल विषयों को आसानी और सहज तरीके से समझाने के चलते प्रोफेसर यशपाल विज्ञान के छात्रों के बीच भी काफी लोकप्रिय थे। 26 नवंबर 1926 के दिन हरियाणा में जन्में यशपाल ने अपने वैज्ञानिक करियर की शुरुआत देश के जाने-माने रिसर्च संस्था, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च से की थी। प्रो यशपाल ने अमेरिका की मैसाचुसेट्स  इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से फिजिक्स (भौतिकी) विषय में पीएचडी की थी।

पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित हुए प्रो.यशपाल:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश का नाम विश्वपटल पर लिखने वाले प्रोफेसर यशपाल को भारत सरकार की ओर से 1976 में देश के दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार पद्म भूषण तथा 2013 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। साल 2009 में विज्ञान को बढ़ावा देने और विज्ञान के क्षेत्र को लोकप्रिय बनाने में अहम योगदान देने की वजह से प्रोफ़ेसर यशपाल को United Nations Educational, Scientific and Cultural Organization (UNESCO) ने कलिंग सम्मान से पुरस्कृत किया था।

यूजीसी के चेयरमैन और योजना आयोग के मुख्य सलाहकार रह चुके हैं:

प्रोफेसर यशपाल ने देश के अनेक महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दी थी। वर्ष 1973 में भारत सरकार ने उन्हें ”स्पेस ऐप्लीकेशन सेंटर” का प्रथम निदेशक नियुक्त किया था। देश के लिए आगामी योजनाओं का निर्धारण करने वाला योजना आयोग जो अब नीति आयोग के नाम से जाना जाता है, 1983-84 में प्रोफेसर यशपाल इस आयोग के मुख्य सलाहकार भी रह चुके हैं। वर्ष 1986 से 1991 तक प्रोफेसर यशपाल विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन भी रहे थे। इसके बाद प्रोफेसर  यशपाल साल 2007 से 2012 तक देश के बड़े विश्वविद्यालयों में गिनें जाने वाले दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के वाइस चांसलर भी रह चुके हैं।