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55 साल बाद मिला जमीनी अधिकार तो कहीं 3 पीढ़ियों बाद निपटे मामले…

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प्रदेश में चल रहे राजस्व लोक अदालत-न्याय आपके द्वार शिविर सैकड़ों लोगों के चेहरों पर खुशी की झलक लेकर आया है। राजस्थान के डूंगरपुर जिले में पिछले कुछ दिनों में ऐसी-ऐसी सफलता की कहानी सामने आ रही हैं जिनमें किसी को 55 साल बाद जमीनी अधिकारी मिल रहा है तो कहीं 3 पीढ़ियों से चले आ रहे मामलों का तुरंत निपटान हुआ। जिले की ग्राम पंचायत कहारी में आयोजित न्याय आपके द्वार शिविर में जब परिवादियों को 55 साल बाद पैतृक कृषि भूमि में हिस्सा मिला तो आंखें खुशी से छलक उठी।

55 साल का मनमुटाव एक ही पल में हुआ दूर

राजस्व शिविर में पहुंचे धुला पिता तेजा एवं हूका पिता तेजा के वारिसान मान, सेंगा, हूरज पुत्री हूका को हाथों-हाथ समाधान मिलने से 55 साल बाद पैतृक कृषि भूमि में हिस्सा मिल ही गया। हुआ कुछ ऐसा, कहारी ‘ए’ के गत सैटलमेंट के खाता नंबर 13 तेजा वल्द हीरा के नाम दर्ज था। उसकी मृत्यु होने के पश्चात जमाबंदी में बडे पुत्र खेमा के नाम दर्ज हो गया। उसकी मृत्यु के पश्चात उक्त भूमि उसके वारिसान धीरजी, सोमी, शान्ति, काउडी, कमली पत्नी खेमजी के नाम चली गई। खेमजी के भाई धुला एवं हूका पैतृक सम्पति के अधिकार से वंचित रह गए। ऐसे में धुला एवं हुका के वारिसान माना, सेंगा, हुरज ने अपना नाम जुड़वाने के लिये एक वाद कार्यालय उपखण्ड अधिकारी डूंगरपुर को प्रस्तुत किया।

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यह विवाद विगत 6 वर्षो से विचाराधीन रहा। न्याय आपके द्वार शिविर अधिकारियों द्वारा वादियों एवं परिवादियों में काफी देर तक समझाइश की गई। दोनाें पक्षों के आपसी रजामंदी से सहमती व्यक्त करने पर तत्काल उपखण्ड अधिकारी ने नाम जोड़ने का आदेश दिया। 55 साल बाद मिले न्याय से जहां पुरा कुनबा अभिभूत हुआ वहीं बरसों से चला आ रहा मनमुटाव भी दूर हुआ।

तीन पीढ़ियों का विवाद सुलझा, मिले दिल से दिल

इस तरह ग्राम पंचायत दामडी में आयोजित न्याय आपके द्वार शिविर में परिवादी मनजी, रतना, कालिया सहित पूरा कुनबा अपनी तीन पीढ़ियों पुराने प्रकरण को सुलझाने के लिए पहुंचा। ग्राम पंचायत दामडी में आयोजित शिविर में पहुंचे 73 खातेदारों ने बताया कि ग्राम चितरेटी पटवार हल्का दामडी के खाता 40 कुल फीता 30 रकबा, 49 बीघा 11 बिस्वा के 73 खातेदारों की अपनी भूमि राजस्व रिकार्ड में पीढ़ियों से सम्मिलित चली आ रही है किन्तु मौके पर अलग-अलग बैठे हुए थे। खातेदार विभाजन चाह रहे हैं लेकिन उनमें विवाद होने के कारण लम्बे समय से प्रकरण सुलझ नही पा रहा था।

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ऐसे में शिविर प्रभारी, अधिकारियों एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने रिश्तों की उलझी गांठों एवं आपसी मनमुटाव को सुलझाने का प्रयास शुरू किया। उनका यह प्रयास रंग लाया और परिवादियों की आपसी सहमती से बंटवारा स्वीकार कर खाता विभाजन की प्रक्रिया को पूरा कर 73 खातेदारों को शिविर में बड़ी राहत प्रदान की गई। 3 पीढ़ियों का यह विवाद कुछ ही मिनटों में समाप्त हो गया। लंबे अंतराल बाद अपनी जमीन की खातेदारी अधिकार मिलने व पीढ़ियों से चले आ रहे आपसी विवाद एवं मनमुटाव के दूर होने से लाभार्थी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए गले मिले।

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