राजस्थान में 7फरवरी से लगने वाले कर्जमाफी शिविरों के आयोजन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। काश्तकारों को कर्जमाफी के लिए अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है। सहकारी बैंककर्मियों ने 15वें वेतन समझौते की मांग को लेकर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। ऐसे में ऋणमाफी शिविरों में सहकारी बैंककर्मियों के शामिल नहीं होने से एक बार फिर गहलोत सरकार की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है।

ऋणमाफी का अधिकांश काम बैंककर्मियों का ही होता है। ऐसे में बैंककर्मियों के शिविरों में शामिल नहीं होने से किसानों का ऋण माफी का सपना एक बार फिर अधूरा रहने की संभावना है।

राजस्थान सरकार की किसानों को शिविर लगाकर राहत देने की कोशिश पर पानी फिरता नजर आ रहा है। सहकारी बैंककर्मियों के हड़ताल पर जाने का बड़ा असर कर्जमाफी शिविरों पर पड़ सकता है। सहकारी बैंककर्मी 8फरवरी को सहकार भवन पर महापड़ाव और 11 फरवरी को हड़ताल करेंगें।

यूनाइटेड फोरम के प्रांतीय संयोजक सूरजभान सिंह आमेरा का कहना है कि जनवरी 2014 से 15वां वेतन समझौता लंबित है। सहकारी विभाग ने वित्त विभाग को इस संबंध में अपनी रिपोर्ट भी भेज दी है उसके बावजूद मामला वित्त विभाग में अटका पड़ा है।

सरकार ने 15वां वेतनमान लागू नहीं किया तो हम किसान ऋणमाफी शिविर में शामिल नहीं होंगे। वहीं, सहकारिता मंत्री उदयलाल आजंना का कहना है कि हड़ताल जैसी स्थिति नहीं आएगी। हम बैंककर्मियों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करेंगे।

Read more: पायलट का बयान परिवारवाद-वंशवाद के खिलाफ नहीं, गहलोत के बेटे वैभव के लिए हैं!