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राजस्थान के इतिहास का सबसे बदनाम गैंगस्टर आनंदपाल सिंह आख़िर अपनी मौत के बाद भी बदनाम हो रहा है। अपने जीवन में हत्या और हुड़दंगों के लिए कुख्यात हुए आनंदपाल के नाम पर आज भी उसके समाज के नेता हिंसा भड़काकर अपनी स्वाभाविक नीचता दर्शा रहे है। इन्हीं समाज के ठेकेदारों ने उसे ज़िंदगीभर अपराध करने से नहीं रोका और अब मरने के बाद भी आनंदपाल की आड़ में अपराध को अंजाम देकर ये नेता अपनी सियासती बिसात बिछाने की कोशिश में लगे हैं। पूरे देश को जाति- धर्म, क्षेत्र- समाज में बांटकर रख देने वाले कुछ नेता भाषणों और बातों में तो अपने समाज और जाति के मसीहा बनते है। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो इनसे ज़्यादा घटिया आदमी पूरे समाज में नहीं होता।

कल गुरुवार को आनंदपाल के पैतृक गाँव राजस्थान के नागौर ज़िलें के सांवराद में आनंदपाल के नाम पर लोगों को झूठी संवेदना दिखाकर कुछ फ़र्ज़ी राजपूत नेताओं ने एक सभा का आयोजन किया। हकीकत में इस सभा द्वारा इन समाज के कथित नेताओं ने अपना राजनैतिक मंच तैयार करना चाहा। आनंदपाल की मृत देह के इस्तेमाल से अपनी राजनीति साध रहे इन नेताओं ने इस सभा में आये हुए लोगों को सरकार के ख़िलाफ़ भड़काकर काम में लिया। समाज के इन नेताओं ने मंच से दंगे भड़काने वाले भाषण दिए। सैंकड़ों युवाओं को अपराध की ओर धकेलने के लिए उन्हें हथियारबंद कर दिया। इन नेताओं की इन हरकतों से पता चलता है कि अपने समाज के नौजवाओं और आने वाली पीढ़ियों की इन्हें परवाह नहीं है।

खुद हुए दूर और भीड़ को बनाया हिंसक:

दंगे और हिंसक विरोध के लिए लोगों को भड़काकर कुछ समाज के लोगों ने सभा में आये हुए लोगों को उपद्रवी बना दिया। भाषण देकर सुर्ख़ियों में छाने का वाले राजपूत समाज के नेताओं ने भीड़ को दंगाई बना दिया और खुद वहां से रफूचक्कर हो लिए। सैंकड़ों नौजवानों को डंडे, सरिये और बंदूकें तक थमा दी। इन भटकें हुए लोगों ने पुलिस पर फायरिंग कर दी। दो दर्ज़न से ज़्यादा पुलिस जवान इस हमले में घायल हुए। सांवराद रेलवे स्टेशन पर पटरियों को उखाड़ने की कोशिश की गई। पुलिस अधिकारियों की बंदूकें छीनकर उनपर फायरिंग की गई। समाज के फ़र्ज़ी पालनहारों के चक्कर में आकर राजपूतों ने कल की सभा में सभ्य भारतीय समाज को असभ्य में बदलने वाली हरकत कर बहुत ही छोटी सोच दर्शाई।

सभा में गए लोगों ने कहा, ”ये समाज के ठेकेदार समाज को ख़त्म करेंगे”:

इस सभा में आने वाले समुदाय के कुछ लोगों ने कहा कि राजपूत समाज के सीधे-सादे युवकों को झांसा देकर बुलाया गया है। समाज के नाम पर मनमानी और दादागिरी करने वालों के लिए यह सभा महज़ समाज और जाति के आधार पर राजनैतिक कुर्सी तैयार करने की साजिश है। समाज की रक्षा का ठेका लेने वाले ये लोग समाज के सबसे बड़े दुश्मन है। स्वार्थ से भरें हुए ये नेता पूरे राजपूत समाज के कंधे पर रखकर बन्दूक चलाने की कोशिश कर रहे हैं। इसी तरह राजनीति और लालच से घिरे हुए ये लोग एक दिन सारे समाज को ख़त्म कर देंगे।