केन्द्रीय शहरी विकास, आवास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने राजस्थान की मुख्यमंत्री को फ्लाईएश का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कहा है। नायडू के लिखे पत्र में राजस्थान में थर्मल पॉवर प्लांट्स से हर दिन कई मिलियन टन फ्लाईएश निकलने की स्थिति भी बताई है।

इसके लिए पर्यावरण मंत्रालय की और से इसी वर्ष 27 जनवरी को जारी विशेष गजट नोटिफिकेशन का भी हवाला दिया है। साथ ही स्पष्ट किया है की पॉवर प्लांट से 300 किलोमीटर दायरे में चल रहे प्रोजेक्ट्स में फ्लाईएश का उपयोग किया जाए।

सूत्रों के मुताबिक, नोटिफिकेशन के बावजूद अभी तक इसका पूरा उपयोग नहीं होने को केंद्र सरकार ने गंभीरता से लिया है। इसके बाद राज्य सरकार ने सभी सम्बंधित विभागों को फ्लाईएश का उपयोग करने के लिए कह दिया है।

इसलिए ‘श्योर’ रहने के केंद्र ने दिए आदेश

-फ्लाईएश से पर्यावरण को नुकसान को नुकसान पहुँच रहा है। बहुत ज्यादा प्रदूषण स्तर है, इसलिए इसे सही तरीके से निस्तारित करना जरूरी है।

– ईट, रेडीमिक्स कंक्रीट, टाइल बनाई जा सकती है। इसके अलावा सड़क और भवन निर्माण में भी उपयोगी है।

– पर्यावरण संरक्षण के लिए फ्लाईएश बेस्ड उत्पाद का निर्माण बेहद जरूरी हो गया है।

राज्य सरकार यह कर रही थी

नगरीय विकास विभाग ने जयपुर विकास प्राधिकरण सहित सभी नगर विकास न्यास, प्राधिकरण और आवासन मंडल को फ्लाईएश का उपयोग करने के निर्देश की पालना करने के लिए कहा है। फ्लाईएश का उपयोग सड़क निर्माण, भवन निर्माण, टाइल सहित कई प्रोजेक्ट्स में करना होगा।

यह हैं स्थिती

मिट्टी और स्टोन डस्ट की खपत पढ रही हैं। इससे प्रकृति पर विपरीत प्रभाव पड़ रह हैं। जिस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल भी चिंता जता चुका हैं।

अभी फ्लाईएश का ज्यादात उपयोग सीमेंट में हो रही हैं। लेकिन इसकी खपत बहुत कम हैं। सीमेंट् के लिए आवश्यक सामग्री में फ्लाईएश का हिस्सा 15 फीसदी ही रहता हैं। जबकि ईंट, टाइल व ब्लॉक निर्माण में इसका हिस्सा 50 फीसदी स् ज्यादा उपयोगी होता हैं। यही कारण हैं कि सरकार ने ईंट -टाइल निर्माण में ज्यादा से ज्यादा फ्लाईएश का उपयोग करने पर जोर दिया हैं।