जयपुर। माह-ए-फरवरी आने वाला है, फरवरी माने मोहब्बत का मौसम। वैसे तो दिसम्बर-जनवरी की सर्द हवाओं में किसी आशिक को अपनी महबूबा की याद न आए ऐसा बहुत ही कम होता है। लेकिन, फिर भी फरवरी को ही जवां दिल मुहब्बत का मौसम कहते हैं। शायद इसलिए कि हम थोड़े अंग्रेज बन गए हैं। खैर, छोड़िए इन सबको। मोहब्बत का महीना आने से पहले जनवरी की इन सर्द हवाओं से एक प्रेम कहानी के खत्म होने की खबर आ रही है। एक ऐसी प्रेमिका की कहानी जिसने अपने प्यार के लिए न केवल अपने परिवार से बल्कि, पूरे जमाने से बगावत कर दी। लेकिन, अब उसी प्यार से वो दूर हो रही है। हमेशा के लिए। लेकिन क्यों! ये जानने के लिए हमें अतीत में चलना होगा। तो आइए आपको लिए चलते हैं 29 साल पुरानी उस राजशाही प्रेम कहानी की ओर…
Diya Kumari and Narendra Singh in their happy times.
ये कहानी हैं जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी और उनके पति नरेन्द्र सिंह राजावत की। शादी के 21साल बाद दोनों तलाक लेकर ज़ुदा हो गए हैं। दीया कुमारी जयपुर के पूर्व महाराज सवाई भवानी सिंह व पद्मिनी देवी की इकलौती संतान हैं। वहीं, नरेन्द्र सिंह राजावत शिवाड़ के कोठड़ा ठिकाने से ताल्लुक रखते हैं। दोनों ने काफी विवादों के बीच 1997 में प्रेम विवाह किया था। दोनों जाति से राजपूत ही थे लेकिन, एक ही गोत्र होने की वजह से प्रेम विवाह से अन्य राजपरिवार और राजपूत समाज में नाराजगी थी।

म्यूजियम की वो पहली मुलाकात

दुनियाभर में मशहूर दीया कुमारी और नरेन्द्र सिंह की प्रेम कहानी की शुरुआत साल 1989 से होती है। जब दीया कुमारी महज 18साल की थी। दीया कुमारी और नरेन्द्र सिंह की पहली मुलाकात म्यूजियम ट्रस्ट में हुई थी। मीडिया को दिए इंटरव्यू में दीया ने इस बात का जिक्र किया है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वो (नरेन्द्र सिंह) न तो मेरे कैशियर थे और न ही एडीसी या शोफर। जैसा मीडिया में छपता रहा है। वो कॉमर्स ग्रेजुएट थे और सीए कर रहे थे। काम के अनुभव के लिए उन्होंने एसएमएस म्यूजियम ट्रस्ट जॉइन किया था। वहीं उनसे मेरी पहली मुलाकात हुई थी।
The Ex-royal family of Jaipur.
1989 से परवान चढ़ी ये प्रेम कहानी 1994 में शादी के बंधन में बंधकर मुक्कमल हुईं। दोनों ने 1994 में आर्य समाज मंदिर में शादी की, फिर कोर्ट में रजिस्ट्रेशन करवाया। तीन साल के उतार चढ़ाव के बाद परिवार की रजामंदी से अगस्त 1997 में हिन्दू रीति—रिवाजों से दोनों का फिर से विवाह हुआ। एक मैग्जीन को दिए इंटरव्यू में दीया कुमारी ने बताया कि विवाह के बाद भी दोनों को धमकियों का सिलसिला लगातार जारी रहा। इतना ही नहीं समाज ने मां गायत्री देवी को इतनी तक धमकी दी कि अगर शादी हुई तो इस्लाम कबूल करना होगा। मेरे पिता ब्रिगेडियर भवानी सिंह ने विवाह के बाद राजपूत सभा के अध्यक्ष का पद छोड़ दिया था और समाज से दूरी बना ली थी। क्योंकि राजपूत समाज इससे नाराज था।
खैर, इन सब घटनाक्रमों के बीच विवाह हुआ। दोनों के तीन बच्चें भी हैं। लेकिन, इन सबके इतर इस प्रेम कहानी का अब अन्त हो गया है। और दीया कुमारी नरेन्द्र सिंह से शायद अब ये ही कह रही होगी… मुझसे पहली से मोहब्बत मेरे महबूब न मांग! 
Source: Prakash