जयपुर। पावन पर्व कुम्भ का नाम सुनते ही हर किसी के मन में विशाल जन सैलाब हिलोरे लेने लगता है। लेकिन, कुम्भ के आगे जब प्रयागराज जुड़ जाए तो गंगा, यमुना तथा सरस्वती का पावन त्रिवेणी संगम मानसिक पटल पर चमक उठता है। देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक विविधताओं की एकता को समेटकर विश्वपटल पर शोभित करने वाला यह पर्व चर्म पर हो और भला राजस्थान की आधुनिक मीरा वसुंधरा राजे वहां नहीं पहुंचे, ऐसा कैसे हो सकता है ? अतः राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे भी तीर्थराज प्रयागराज पहुंच गई। कुम्भ की पवित्रता को देखने तथा यहां के धार्मिक क्रिया कलापों से रूबरू होने के लिए वसुंधरा राजे केवल एक-दो नहीं बल्कि तीन दिन वहां रही तथा मां गंगा के तट पर उमड़े प्राचीन भारत की तस्वीर को करीब से देखा।

सादगी और सेवाभाव भरे तीन दिन

सोमवार को प्रयागराज पहुंची वसुंधरा राजे ने जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज के शिविर में शरण ली। राजे ने तीन दिन यहीं रहकर स्वामी अवधेशानंद के प्रवचन सुने तथा कुंभ की भव्यता और दिव्यता के दर्शन किए। चूंकि वसुंधरा कई बार सार्वजिनक मंचों से यह कह चुकी है कि संतों की सेवा ईश्वर की सेवा के समान है। इसलिए वे यहां ज्यादातर साधु-संतों को भोजन कराते तथा लंगर बांटते हुए ही दिखी। इतना ही नहीं राजे ने अवधेशानंद गिरी के शिविर अस्पताल में भर्ती मरीजों की सेवा भी की। इस दौरान उनकी सादगी बिल्कुल वैसी ही थी जैसे कोई आम आदमी अस्पताल में भर्ती अपने परिजन का खयाल रख रहा हो।

धार्मिक क्रियाओं से परिपूर्ण था कुम्भ दौरा

मन में भक्ति का सागर लिए कुम्भ पहुंची वसुंधरा राजे ने भ्रमण के दौरान अनेक शिविरों व मंदिरों में पंचामृत द्वारा भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया। इस दौरान मंगलवार को गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाकर उन्होंने सभी के कल्याण की कामना भी की। गंगा स्नान के बाद राजे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती तथा स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के शिविर में पहुंची तथा आशीर्वचन प्राप्त किया। इतना ही नहीं राजे ने यहां वैदिक पंडितों के विधिवत् मंत्रोच्चार के बीच ‘सर्वकल्याणकारी यज्ञ’ में आहुति देकर सर्वजन हिताय के लिए प्रार्थना भी की।

शिवराज, शाह, योगी से मुलाकात

कुम्भ भ्रमण के दौरान मंगलवार को वसुंधरा राजे की मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात हुई। इस दौरान चौहान की पत्नी सहित उनके पुत्रों से भी राजे स्नेहपूर्वक मिली। वहीं मंगलवार को भाजपा सुप्रीमो अमित शाह, सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा योग गुरु बाबा रामदेव से भी राजे ने भेंट की। इस अवसर पर स्वामी अवधेशानंद गिरी के शिविर में उन्होंने शाह, योगी, रामदेव सहित सभी साधु-संतों के साथ मिलकर भोजन किया। साथ ही सर्वोत्तम व्यवस्थाओं के माध्यम से विश्व के सबसे बड़े आयोजन कुम्भ को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को शुभकामनाएँ भी दी।

भक्ति भाव से मिली आधुनिक मीरा की पहचान

वसुंधरा राजे एक ऐसे माहौल में पैदा हुई, जहां जनसेवा और राष्‍ट्रभक्ति के अलावा ईश्वर की आराधना भी महत्त्वपूर्ण थी। यह मां विजयाराजे सिंधिया जी द्वारा दिए गए उच्च संस्कारों का ही परिणाम है कि वसुंधरा राजे किसी भी धार्मिक कार्य में सबसे पहले पहुंचती है। राजे के नजदीकी सूत्रों की मानें तो वसुंधरा अपने हर दिन की शुरुआत मंदिर में शीश झुकाकर तथा समाप्ति ईश्वर की आराधना के साथ करती है। बताया तो यह भी जाता है कि वसुंधरा अपने व्यस्त दौरे के दौरान राजस्थान या फिर देश के किसी भी कोने में क्यों ना हो वो अपने ठहराव स्थल के पास में स्थित मंदिर में शीश झुकाने जरूर पहुंचती है।