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गुलाल गोटेदार होली
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होली के दिनों में गुलाबी नगरी जयपुर का खास और पसंदीदा खेल है गुलाल गोटा। यह कभी जयपुर के राजा रजवाड़ों और राज परिवारों की शान हुआ करता था। रजवाड़े के समय से होली खेलने के लिए गुलाल गोटे का इस्तेमाल किया जाता रहा है। लेकिन पिछले कुछ सालों से न केवल पूर्व राजपरिवार बल्कि आम नगरवासियों और खास तौर पर पर्यटक भी इसके मुरीद बनते जा रहे हैं। जब से गीली होली का प्रचलन कम होने लगा है, उसके बाद जयपुर का गुलाल गोटा और भी प्रसिद्धि पाने लगा है। शहर के चौड़ा रास्ता स्थित मणिहारों के रास्ते पर सजी दुकानों पर गुलाल गोटा शहरवासी ही नहीं, विदेशी पर्यटकों की भी पहली पसंद बना हुआ है।

क्या है गुलाल गोटा

मणिहारों का रास्ता स्थित रंगों की दुकान के मालिक सलीम मो. खान का कहना है कि हालांकि शहरवासियों के लिए यह एक नया ट्रेंड है लेकिन जयपुर के लिए यह कोई नया नहीं है। जयपुर शहर में सालों से केवल गुलाल से होली खेले जाने का प्रचलन है। राजाओं के जमाने में भी गुलाल से ही होली खेली जाती रही है। उस समय में होली खेलने के लिए गुलाल गोटे का इस्तेमाल किया जाता रहा है। गुलाल गोटा लाख से बनी एक नाजुक गेंद की भांति है जिसका वजन करीब 3 ग्राम होता है। लाख को गर्म कर फूंकनी की मदद से फुलाकर उसमें गुलाल भरी जाती है। लाख की परत इतनी नरम और हल्की होती है कि किसी पर फेंकने से वह टूट जाती है और सामने वाला गुलाल से सराबोर हो जाता है।

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गुलाल गोटेदार होली

गुलाल गोटे की कीमत 15 रुपए से शुरू हो जाती है। इसकी क्वालिटी और रंगों की मात्रा के हिसाब से इसकी कीमत लगाई जाती है। इसकी खास बात इसमें इस्तेमाल खुशबुदार रंग भी होते हैं। यह गुलाल गोटे रंग-बिरंगे रगों में बेहद आकर्षक लगते हैं. इनके साथ होली खेलने वाले न सिर्फ रंगों से बल्कि खुशबू से भी नहा जाता है।

प्रजा के साथ महाराज खेलते थे होली

पुश्तों से जयपुर की चार दिवारी में रह रहे पुराने लोगों का कहना है कि गुलाल गोटा जयपुर की संस्कृति से जुड़ा है। पहले जयपुर के महाराज अपनी प्रजा से गुलाल गोटा से ही होली खेला करते थे। वह हाथी पर सवार होकर शहर भ्रमण करते हुए प्रजा पर गुलाब गोटा फेंकते हुए चला करते थे। अपनी रानियों के साथ महाराज गुलाल गोटेदार होली ही खेला करते थे। हालांकि वक्त के साथ ही गुलाल गोटे में कई बदलाव हो चुके हैं लेकिन आज भी यह नगरवासियों में खास प्रचलित है। खास तौर पर चार दिवारी से जुड़े इलाकों में आज भी गुलाल गोटा होली खेली जाती है। धीरे-धीरे पर्यटकों में भी गुलाल गोटा होली का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इस प्रकार की होली से न केवल पानी की बचत होती है, साथ ही गुलाल नुकसानदायक भी नहीं होते।

राजस्थान से बाहर भी भेजा जाता है गुलाल गोटा

जैसा कि बताया है, जयपुर में गुलाल गोटा होली खासी फेमस है। राज्य के अन्य इलाकों में भी इसे खेलते हुए देखा जा सकता है। ऐसे में राज्य के बाहर भी इसके बतौर गिफ्ट भेजा जा रहा है। अहमदाबाद, वृंदावन, मथुरा से लेकर विदेशों तक में गुलाल गोटा की मांग है। ऐसे में जयपुरवासी भी गुलाल गोटा के साथ पूरी तरह इस बार होली धमाल मचाने के लिए तैयार हैं।

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