राजस्थान में जब से कांग्रेस सत्ता में लौटी है तब से वह ‘विकास’ को छोड़ ‘नाम परिवर्तन’ करने के महत्त्वपूर्ण काम में लगी हुई है। राजस्थान में कांग्रेस सरकार आते ही पूर्व भाजपा सरकार की विभिन्न योजनाओं के नाम को बदलने में लगी हुई है। राजनीति में एक कटु सत्य है कि हरेक सरकार सत्ता में आते ही पूर्व सरकार की योजनाओं को संशोधित या फिर बंद कर देती है। राजनीतिक द्वेष की वजह से गहलोत सरकार विकास के मुद्दे पर काम करने की बजाय योजनाओं के नाम बदलने की कवायद में लगी हुई है।

सभी सरकारी दस्तावेजों से पंडित दीनदयाल उपाध्याय की तस्वीर हटाने के बाद अब इस कड़ी में दीनदयाल उपाध्याय वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना के नाम में परिवर्तन किया गया है। दरअसल इस योजना के नाम से दीनदयाल उपाध्याय हटाकर फिर से मुख्यमंत्री वरिष्ठ नागरिक तीर्थ योजना कर दिया है। दीनदयाल उपाध्याय जनसंघ के संस्थापक रहे हैं, जिनके नाम पर वसुंधरा सरकार ने जितनी भी योजनाएं चला रखी थी, उसे गहलोत सरकार बदलने में आमादा है। योजनाओं में बदलाव करने पर कांग्रेस का कहना है कि इन योजनाओं के नाम बदलकर वह बिल्कुल ठीक कर रही है क्योंकि पूर्व भाजपा सरकार ने भी योजना के नाम में संशोधन किया था। उल्लेखनीय है कि इससे पहले गहलोत सरकार ने जमीनों के पट्टों के ऊपर से भी दीनदयाल उपाध्याय का लोगो हटाने का फैसला किया था।

 

स्वच्छ राजनीति के परिपेक्ष्य में बात की जाए तो कांग्रेस सरकार द्वारा लगातार योजनाओं का नाम बदलने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। कांग्रेस विकास कार्यों को छोड़कर अब नाम परिवर्तन की राजनीति में लगी हुई है। अब देखना होगा कि कांग्रेस पूर्व भाजपा सरकार की कितनी और योजनाओं का नाम बदलती है या फिर उसे बंद करती है।