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गणगौर माता को सिर पर उठाए विवाहित महिलाएं।
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गणगौर माता की झांकी

विवाहित महिलाओं का सबसे बड़ा त्योहार तीज-गणगौर कल मंगलवार को मनाई जाएगी। लोकपर्व गणगौर चैत्र मास में मनाई जाती है जिसमें महिलाएं अखंड सौभाग्य और युवतियां मनचाहे वर की कामना करते हुए गणगौर माता और ईसरजी की पूजा करती हैं। इससे पूर्व सोमवार को सिंजारा मनाया गया है। महिलाओं ने हाथों में मेहंदी रचाकर और सोलह श्रृंगार कर घरों में गणगौर माता की स्थापना की। कहीं-कहीं रविवार को भी घरों में गणगौर माता की स्थापना की गई है। यह दो दिवसीय त्योहार है जो 20 व 21 मार्च को पूरी आस्था के साथ मनाया जाएगा। मंगलवार को गणगौर माता की सवारी परम्परागत तरीके से निकाली जाएगी।  राज्य सरकार ने इस अवसर पर मंगलवार को जयपुर में आधे दिन के अवकाश की घोषणा की है।

नवविवाहितों के लिए गणगौर का खास महत्व

नवविवाहितों के लिए सिंजारे और गणगौर का त्योहर खास महत्व रखता है। इनकी हाल ही में शादी हुई है, इस त्योहर के लिए उन्हें 18 दिन तक पीहर में गणगौर की पूजा करनी होती है। इस दौरान घर गौर गणपति, ईसर पूजै पार्वती … जैसे गीतों से गुलजार रहेगा।

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गणगौर माता को सिर पर उठाए विवाहित महिलाएं।

महिलाएं सिर पर मंगल कलश धारण कर गीत गाती हुईं दूब और जल लेकर घर में प्रवेश करती हैं और गणगौर माता की चौकी स्थापित करती हैं। माता को घेवर और चूरमे का भोग लगाया जाता है। राजस्थान में 16 दिनों तक गणगौर पर परंपरागत गीतों के साथ ईसर और पार्वती का पूजन किया जाता है। चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक 16 दिनों तक यह पूजा होती है। आठवें दिन कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर बड़ी गणगौर माता बनाई जाएगी। इस पर्व में कुंवारी लड़कियां जहां गण यानि शिव तथा गौर यानि पार्वती से मनपसंद वर पाने की कामना करती हैं।

जयपुर व सीकर में लगता है मेला

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गणगौर माता की सवारी

बताया जाता है कि राज्य की राजधानी जयपुर और सीकर में पिछले 52 वर्षों से भी अधिक समय पहले से गणगौर का पावन त्योहर मनाया जाता है। इस दौरान घोड़े-हाथियों से सजी झांकियां शहरभर से होकर निकाली जाती है। जयपुर में गणगौरी बाजार से चौड़ा रास्ता और बड़ी चौपड़ होते हुए सजी-धजी गणगौर माता की सवारी निकाले जाने का रिवाज राजा-महाराजाओं के जमाने से चला आ रहा है।

क्यूं मनाई जाती है गणगौर

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शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव ने पार्वती को तथा पार्वती ने समस्त स्त्रियों को सौभाग्य का वरदान दिया था। अखंड सौभाग्य और पति की लंबी आयु की कामना करते हुए सभी विवाहित महिलाएं और अविवाहित युवतियां इस दिन गणगौर माता की पूजा-अराधना करती हैं।

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