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Flowers coming from Khawaja Garib Nawaz's mazar will now be used to make compost.

राजस्थान के अजमेर शहर स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में मजार शरीफ से उतरे फूलों का उपयोग अब खाद बनाने में किया जाएगा। इससे मजार शरीफ से उतरे फूलों की बेकद्री नहीं होगी। मजार से उतरे फूलों से खाद बनने के बाद फूल, फल व सब्जियां उगाने में इस खाद का उपयोग किया जाएगा। इसके लिए कायड़ विश्राम स्थली में आधुनिक प्लांट लगाया गया है। कमेटी द्वारा प्रारंभिक कार्य पूरा कर लिया गया है। दरअसल, भारत सरकार के स्वच्छ आइकोनिक प्लेस प्रोजेक्ट के तहत यह काम किया जाएगा। इस कार्य में दरगाह कमेटी और हिंदुस्तान जिंक संयुक्त पार्टनर हैं। कायड़ विश्राम स्थली में मजार शरीफ से उतरे फूलों को खाद में बदलने के लिए एक बड़े एरिए एकत्र किया जा रहा है। इसके बाद आधुनिक प्लांट के जरिए इन ​फूलों से खाद तैयार की जाएगी।

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Image: सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह- अजमेर.

21 लाख रुपए लागत की मशीन करेगी खाद बनाने का काम

कायड़ विश्राम स्थली में गुरुवार को फ्लावर कंपोस्ट मशीन का जिला कलेक्टर आरती डोगरा ने उद्घाटन किया। दरगाह कमेटी के अध्यक्ष अमीन पठान ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। एसपी राजेश सिंह कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि रहे। दरगाह नाजिम आईबी पीरजादा के मुताबिक, इस प्रोजेक्ट के लिए 21 लाख रुपए लागत की मशीन खरीदी गई है। इस मशीन के आने से खाद बनाने में अतिरिक्त मेहनत नहीं लगेगी। इस मशीन को संचालित करने के लिए कमेटी स्टाफ को ट्रेंड किया जा रहा है। मशीन संचालन में ट्रेंड होने के बाद कमेटी स्टाफ ही इसे संचालित करेंगे।

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प्रतिदिन 1 टन से अधिक फूल चढ़ाए जाते हैं मजार शरीफ पर

कमेटी सदस्यों की जानकारी के अनुसार, मजार शरीफ पर प्रतिदिन 1 टन से अधिक फूल चढ़ाए जाते हैं। प्रतिदिन 50-50 किलो की 20 बोरियां फूलों की यहां से निकलती हैं। खाद बनाने की पहल करने से पहले इन फूलों को अंदरकोट स्थित बावड़ी में डाला जाता था। लेकिन अब कमेटी इन फूलों को कायड़ विश्राम स्थली ले जाकर खाद तैयार कराएगी। फूलों से तैयार इस खाद का खाद के रूप में विभिन्न प्रकार से इस्तेमाल किया जाएगा। इससे अब मजार शरीफ से उतरे फूल बेकार में नहीं जाएंगे।