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आम तौर पर यह माना जाता है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक राष्ट्र में राजनीतिक प्रतिनिधित्व के मामले में लैंगिक समानता का प्रावधान है। लेकिन वास्तव में देखा जाए तो ऐसा नहीं है। देश के तमाम राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए उनके अधिकार के बारे में बढ़-चढ़ कर बातें तो खूब करते हैं। लेकिन जब महिलाओं के राजनीति के रण में शामिल होने की बात हो तो उन्हें टिकट देने में भेदभावपूर्ण रवैया हमेशा से ही अपनाया जाता रहा है।
चुनावों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने तथा उनके हक के लिए 36 वर्षीया एक डॉक्टर व सामाजिक कार्यकर्ता श्वेता शेट्टी ने ‘राष्ट्रीय महिला पार्टी’ बनाई है। पार्टी का लक्ष्य लोकसभा चुनाव में महिलाओं को प्रतिनिधित्व देकर संसद में 50 फीसदी आरक्षण, कार्यस्थल व अन्य जगहों पर महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार के विरुद्ध आवाज बुलंद करना और यौन उत्पीड़न जैसे अनेक मुद्दों को उठाना है। देश की पहली अलग से महिलाओं के लिए नवगठित पार्टी की घोषणा करते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष श्वेता शेट्टी ने कहा कि ”वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर पुरुष प्रधान राजनीतिक प्रणाली में पूरी तरह से महिलाओं की एक पार्टी का होना बहुत जरुरी है। महिलाओं के कल्याण और प्रगति के लिए संसद में भी उनकी ज्यादा से ज्यादा भागीदारी की जरूरत है। हमारा उद्देश्य विशेषकर सुविधाविहीन व वंचित महिलाओं का प्रतिनिधित्व करना है।”
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‘राष्ट्रीय महिला पार्टी’ को राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत करने के लिए चुनाव आयोग में आवेदन भी कर दिया है। शेट्टी ने दावा किया कि हैदराबाद स्थित तेलंगाना महिला समिति की करीब 1.45 लाख महिला सदस्यों ने भी पार्टी को समर्थन दिया है।