जयपुर। कहने में कितना अच्छा लगता है जब राजनेता खुले मंच से बोलते हैं कि हमारा राजस्थान 2 करोड़ से भी ज्यादा युवा शक्ति से सुसज्जित प्रदेश है। ये वहीं युवा हैं, जिनके कंधों पर राजस्थान का ही नहीं बल्कि देश के भविष्य का भार भी है। इन 2 करोड़ युवाओं में से करीब 1 करोड़ 40 लाख युवा ऐसे हैं जो अध्ययनरत हैं। इनमें से कुछ सरकारी नौकरी की तैयारियों में व्यस्त है तो कुछ चंद पैसों के बदले निजी कंपनियों की खाक छान रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक राजस्थान के करीब 50 से 70 लाख युवा इस हद तक बेरोजगार हैं कि पढ़ाई पूरी करके घर पर बैठ गए हैं।

बेरोजगार सरकारी शिक्षक

इन बेरोजगारो में करीब 26 हजार युवा ऐसे हैं जिन पर कहने को तो सरकारी शिक्षक का टैग लगा हुआ है। लेकिन वास्तव में वो गहलोत सरकार द्वारा दिए जाने वाले बेरोजगारी भत्ते के पात्र हैं, जो अब तीन हजार रुपये मासिक भत्ता पाने के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाते दिख रहे हैं। ये अभ्यर्थी फरवरी, 2018 में हुई उस निर्मोही रीट भर्ती परीक्षा का हिस्सा थे जो पहले तमान कानूनी अड़चनों के कारण अधर में लटकी रही। और जब वहां से निकली तो कांग्रेस द्वारा चुनाव आयोग को लिखे पत्र के कारण दम तोड़ बैठी।

आश्वासन पर टिकी उम्मीदें

हालांकि नव सत्तासीन कांग्रेस सरकार के मंत्री अभी भी रीट के चयनित अभ्यर्थियों को जल्द से जल्द ज्वॉइनिंग का आश्वासन देते नजर आ रहे हैं। उपमुख्यमंत्री सचिन पालयट अदालत से भर्ती को सुरक्षित निकालकर सभी 26 हजार चयनितों को नियुक्ति देने का दावा कर रहे हैं। लेकिन राजनीतिक द्वेष का शिकार ये युवा मन ही मन कांग्रेसी नेताओं से यह सवाल जरूर पूछ रहे हैं कि आपको युवाओं की इतनी ही चिंता थी चुनाव आयोग को विशेष पत्र लिखकर भर्ती को रुकवाया ही क्यों ?