जयपुर। राज्यसभा की अप्रैल में खाली हो रहीं 55 सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होगा। चुनाव आयोग ने मंगलवार को यह घोषणा की है। चुनाव आयोग की तरफ से जारी विज्ञप्ति के अनुसार इन 17 राज्यों से चुने गए राज्यसभा सदस्यों का कार्यकाल अप्रैल में समाप्त हो रहा है। इनमें उपसभापति हरिवंश, मोतीलाल वोरा, रामदास आठवले, दिग्विजय सिंह, डॉ संजय सिंह, कुमारी शैलजा, विजय गोयल, प्रेमचंद गुप्ता, हरदीप पुरी, विजय गोयल, शरद पवार और तिरुचि शिवा आदि प्रमुख हैं।

राजस्थान में तीन सीटों पर होगा चुनाव
आयोग ने कहा कि राज्यसभा में 17 राज्यों की ये सीटें अप्रैल में रिक्त हो रही हैं। 55 सीटों में सर्वाधिक सात महाराष्ट्र से, छह तमिलनाडू, पांच-पांच सीटें पश्चिम बंगाल और बिहार से, चार-चार सीटें गुजरात और आंध्र प्रदेश से तथा तीन-तीन सीटें राजस्थान, ओडिशा और मध्यप्रदेश से शामिल हैं। राजस्थान में नारायण लाल पंचारिया, राम नारायण डूडी और विजय गोयल का नाम शामिल है।

अप्रैल में समाप्त होगा कार्यकाल
आयोग के अनुसार चुनाव की अधिसूचना छह मार्च को जारी होगी तथा 13 मार्च को नामांकन, 16 को नामंकन पत्रों की जांच और 18 मार्च को नाम वापस लेने की अंतिम तारीख होगी। महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से चुने गए सदस्य दो अप्रैल को सेवानिवृत्त हो जाएंगे जबकि आंध्रप्रदेश, तेलंगना, बिहार, झारखंड, राजस्थान, गुजरात, मणिपुर, असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्यप्रदेश और हिमाचल के संदस्यों का कार्यकाल नौ अप्रैल और मेघालय के सदस्यों का कार्यकाल 12 अप्रैल को समाप्त होगा।

राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 सदस्य जरूरी
फिलहाल भाजपानीत एनडीए और अन्य मित्रदलों की सदस्य संख्या राज्यसभा में 106 और अकेली भाजपा की 82 है। जबकि 245 सदस्यीय राज्यसभा में बहुमत के लिए 123 सदस्यों की आवश्यकता होती है।
गौरतलब है कि 2018 और 2019 में भाजपा को कुछ राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है, जिसका सीधा असर राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनाव परिणाम पर पड़ना स्वाभाविक ही है। दूसरी तरफ, कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों की स्थिति 245 सदस्यीय राज्यसभा में सुधरेगी।

फिलहाल बहुमत से दूर ही रहेगी भाजपा
इस समय भाजपा के राज्यसभा में 83, और कांग्रेस के 45 सदस्य हैं समीकरण के हिसाब से राज्यसभा में भाजपा की संख्या 83 के आसपास बनी रहेगी और सदन में बहुमत की उसकी आस फिलहाल पूरी नहीं हो पाएगी। जबकि छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र की सत्ता में आने के बाद कांग्रेस को राज्यसभा में अपनी कुछ सीटें बढ़ाने का मौका मिलेगा।