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राजस्थान के सबसे ऐतिहासिक और इंटरनेशनल फेम उत्सव मरु महोत्सव का आगाज हो गया है। सूरज की पहली किरणों के साथ रेतीले धोरों पर ऊंटों के पांव पड़ते ही लोक संस्कृति की लहरी गूंज उठी है। यानी अब तीन दिन देशी-विदेशी सैलानी राज्य के विविध अंचलों की संस्कृति से रूबरू होंगे।

सोने सी चमकने वाली धोरों की इस धरती पर जैसे ही सूर्य की किरणें पड़ीं, ढोल-नगाड़े, टामक और तुरही की गूंज आकाशीय हो उठी। मिट्टी की सौंधी खुशबू लोकसंस्कृति की खुशबू से मेल खा रही थी। राजस्थान की इस धरती पर कुछ अलग ही दिखने लगा था। गढ़ी सरोवर से शुरू हुई संस्कृति की छटा शोभायात्रा के रूप में मुखरित हुई। रंग बदलती धरती पर सैलानियों के साथ रेंगती यात्रा कुछ देर में पूनम स्टेडियम पहुंच गई। सैलानियों का स्वागत करने वाले बीएसएफ के ऊंट थे जिन्होंने इस फेस्टिवल और मरूधरा का रंग भर दिया।

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पहले दिन इस प्रकार हुए कार्यक्रम
मरु महोत्सव का शुभारंभ 8 फरवरी को गड़ीसर से शोभायात्रा से हुआ। सुबह 9 बजे शोभायात्रा शहर के गड़ीसर तालाब से शुरु होते हुए आसनी – रोड़, गुलासतला रोड़, गोपा चौक, सदर बाजार, जिंदानी चौक, गांधी चौक, हनुमान चौराहे होते हुए शहीद पूनम सिंह स्टेडियम पंहुची। जहां पर मरु महोत्सव का विधिवत शुभारंभ हुआ। उसके बाद बालिकाओं द्वारा घूमर नृत्य की प्रस्तुति दी गई । जिसके बाद पहले दिन साफा बांध, मूमल महेंद्रा, मूंछ, मिस मूमल, मरुश्री प्रतियोगिताओं का आयोजन हुआ। शाम को सांस्कृतिक एवं लोक संगीत कार्यक्रम आयोजित होंगे। जिसमें ख्यातनाम कलाकारों द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जाएंगे।

खाजूवाला के अंग्रेज सिंह द्वारा मशक वादन, हमीरा के पेंपे खान द्वारा शहनाई वादन के साथ ही बसावा के ख्यातनाम लोक कलाकार बच्चू भाई एस द्वारा माता की झांकी नृत्य, भावनगर के नितिन दवे द्वारा रास गरबा नृत्य, जयपुर के ख्यातनाम लोक कलाकार बनवारी लाल कचोलिया द्वारा कच्छी घोडी नृत्य, जैसलमेर की बिजली के रुप में जाने वाले ख्यातनाम लोक कलाकार आनंद सिंह सोलंकी द्वारा घुटना चकरी नृत्य, चकरी नृत्य, कालबेलिया नृत्य के साथ ही जैसलमेर के ख्यातनाम कलाकार इमरान खान और हसन खान तथा बीकानेर के जफर खान द्वारा सूफी एवं राजस्थानी गीतों की प्रस्तुति एवं नादस्वरम् संगीत संस्था की शोभा हर्ष द्वारा मांड गायन की प्रस्तुति होगी।

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9 फरवरी को होंगे ये कार्यक्रम, सैलानी उठाएं जमकर आनंद

9 फरवरी को डेडानसर मैदान में कार्यक्रम आयोजित होंगे। वहां पर ऊंट श्रृंगार, शान ए मरुधरा, रस्साकशी, महिला दंगल, केमल पोलो मैच, पणिहारी मटका प्रतिस्पर्धाएं होंगी। इसके साथ ही सीमा सुरक्षा बल द्वारा केमल टेटू शो तथा वायुसेना द्वारा हैरतअंगेज कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी जाएगी। इसके साथ ही दूसरे दिन शाम को शहीद पूनम सिंह स्टेडियम में शाम 7 बजे सांस्कृतिक संध्या होगी। जिसमे लोक संस्कृति की प्रस्तुतियां पेश की जाएगी। सांस्कृतिक सांझ में जैसलमेर के अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार एवं क्वीन हरीश द्वारा राजस्थानी नृत्य पेश किया जाएगा।

वहीं रामगढ़ के उदाराम द्वारा अग्नि तराजू नृत्य, बनयसिंह अलवर द्वारा रिम भवई नृत्य, मूलदास लूणी द्वारा तेरहताली नृत्य के साथ ही विष्णुदत्त शर्मा भरतपुर द्वारा, मूलसागर के तगाराम भील द्वारा अलगोजा वादन के साथ ही अन्य ख्यातनाम कलाकारों द्वारा गिद्दा, भंगड़ा नृत्य एवं चरी नृत्य पेश किए जाएंगे।

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10 फरवरी को होगा मरू महोत्सव का समापन
मरु महोत्सव का समापन 10 फरवरी को सम के मखमली धोरों पर माघ पूर्णिमा के चांद की रोशनी में होगा। उससे पहले ग्रामीण दर्शन के तौर पर कुलधरा गांव में कार्यक्रम आयोजित होगा। उसके बाद सम सेंड ड्यूंस के रेतीले धोरों पर ऊंट दौड़ प्रतियोगिताएं, पतंग बाजी शो होगा। इनके बाद सम के धोरों पर ही शाम को लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं आतिशबाजी के साथ तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन किया जाएगा।

सांस्कृतिक संध्या में जैसलमेर के अंतरराष्ट्रीय कलाकार गाजी खान द्वारा डेजर्ट सिनी की प्रस्तुति पेश की जाएगी। वहीं के बाड़मेर के स्वरूप पंवार द्वारा भवई नृत्य, पाली के संकल्प शर्मा द्वारा बावले छोरे, मीरा देवी गोगुंदा द्वारा तेरहताली नृत्य, जोधपुर की खातु सपेरा द्वारा कालबेलिया नृत्य, भरतपुर के विष्णुदत्त द्वारा फूलों की होली एवं अन्य ख्यातनाम कलाकारों द्वारा भी भव्य सांस्कृतिक पेश किए जाएंगे। इस मरु महोत्सव का समापन भव्य आतिशबाजी के साथ होगा।