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राजस्थान में होगी नारियल की खेती।
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राजस्थान में होगी नारियल की खेती।

समुद्री किनारों की नम भूमि पर पाए जाने वाले नारियल के पेड़ अब राजस्थान की रेतीली धरती पर भी दिखने वाले हैं। यह कोई अजूबा नहीं लेकिन इससे कम भी नहीं है। इस समय राजस्थान कृषि के क्षेत्र में अपनी तस्वीर व तकदीर दोनों बदलने की दिशा में अग्रसर है। इसी क्रम में अब प्रदेश में नारियल की खेती करने की तैयारी हो रही है। वसुन्धरा सरकार की अगुवाई में तैयारियों को गति प्रदान करते हुए केरल से नारियल के 400 पौधे भी मंगवाए जा चुके हैं। नारियल के साथ सुपारी की खेती भी यहां शुरू की जाएगी। इससे पहले जयपुर में जैतून की खेती भी एक नायाब प्रयास किया जा चुका है जिसकी जमकर सराहना हुई है।

कृषि नवाचार के लिए 10 करोड़ का बजट:कृषि मंत्री

इस संबंध में राजस्थान के कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी का कहना है ‘इस नवाचार के लिये राज्य सरकार द्वारा 10 करोड़ का बजट उपलब्ध कराया गया है। शुरुआत में दो-दो हैक्टेयर क्षेत्र में नारियल और सुपारी की पैदावार की जाएगी। इसके लिए राजस्व विभाग द्वारा बीसलपुर के तल क्षेत्र टोंक के थलोड़ी में जमीन आवंटित की गई है। इस जमीन की चारदीवारी करवाई जाकर ट्यूबवेल, सोलर पम्प और ऑफिस आदि की स्वीकृतियां जारी कर दी गई है।’

टोंक जिले में किया जाएगा खास प्रयोग

केरल स्थित आईसीएआर के रिसर्च सेंटर से नारियल के 400 पौधे मंगलवार को राजस्थान लाए लाए गए हैं। इन्हें टोंक जिले के थड़ोली स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पर रोपा जाएगा। एक महीने के भीतर सुपारी के 400 पौधे यहां जाए जाने का विचार है।

रेतीली भूमि पर कैसे होगी नारियल की खेती

आमतौर पर नारियल की खेती दक्षिणी भारत की नम भूमि पर की जाती है। लेकिन प्रदेश में विषम परिस्थितियों के बावजूद में यह बड़ी पहल है। नारियल और सुपारी की खेती की तकनीक जानने के लिए पिछले दिनों अधिकारियों का एक दल केरल गया था जो वहां से प्रशिक्षण हासिल कर लौटा है। प्रयास सफल रहा तो नारियल व सुपारी की खेती से कृषि क्षेत्र में नवाचार बढ़ेगा। साथ ही किसानों की आय वृद्धि भी होगी।

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