news of rajasthan
CM Raje and Governor greeted the people of the state on Shrikrishna Janmashtami.

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राज्यपाल कल्याण सिंह ने आज सोमवार (3 सितंबर) को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री राजे ने अपने संदेश में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने मनुष्य को बिना किसी फल की आशा किए निष्काम कर्म करने, अधर्म को समाप्त कर धर्म की स्थापना करने, शोषण एवं अन्याय का संगठित होकर प्रतिकार करने तथा जरूरतमंद लोगों के कल्याण के लिए सदैव समर्पित रहने तथा प्रेम और भाईचारे का महान संदेश दिया। राजे ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का सम्पूर्ण जीवन निष्काम कर्म का अद्वितीय उदाहरण है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों का आह्वान किया कि वे भगवान श्रीकृष्ण के महान आदर्शों को जीवन में उतारते हुए राष्ट्र के विकास व प्राणी-मात्र के कल्याण और समाज में समरसता रखने का संकल्प लें।

news of rajasthan
Image: मुख्यमंत्री राजे और राज्यपाल ने प्रदेशवासियों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दी शुभकामनाएं.

हमें युग पुरुष श्रीकृष्ण के उपदेशों से प्रेरणा लेनी चाहिए: राज्यपाल कल्याण सिंह

राज्यपाल कल्याण सिंह ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देते हुए अपने संदेश में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अन्याय का प्रतिकार कर शाश्वत सत्य एवं निष्काम कर्म के महत्व की स्थापना की। उन्होंने कहा कि हमें युग पुरुष श्रीकृष्ण के उपदेशों से प्रेरणा लेनी चाहिए। राज्यपाल और मुख्यमंत्री के सा​थ ही विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह, सरकारी मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर एवं सरकारी उप मुख्य सचेतक मदन राठौड़ ने भी प्रदेशवासियों को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दी हैं।

Read More: सिलिकॉन वैली में तकनीकी ज्ञान व उद्यमिता के गुर सिख रहे है राजस्थान के युवा छात्र

विधानसभा अध्यक्ष मेघवाल की श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शुभकामनाएं

प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने भी कृष्ण जन्माष्टमी पर प्रदेशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। मेघवाल ने अपने संदेश में कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने तत्कालीन समाज में व्याप्त भय और आतंक के वातावरण से आम जन को मुक्ति दिला कर उनमें समन्वय सहयोग और प्रेमरस घोला। उन्होंने सत्य का साथ देकर धर्म और राजनीति में मूल्यों की महत्ता प्रतिपादित की और कर्म को प्रधान माना।