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चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने आईजीपीआरएस सभागार में आयोजित आंचल मदर मिल्क बैंक के प्रथम वार्षिक समारोह में श्रेष्ठ मदर मिल्क बैंक एवं इनके कुशल प्रभारियों, नर्सिंगकार्मिकों एवं अन्य सहायक अधिकारियों-कर्मचाारियों सहित 14 को पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया। प्रदेश में ब्यावर, अलवर, बांसवाड़ा, बारां, भीलवाड़ा, भरतपुर, बून्दी, चितौडगढ़, चूरू, टोंक, उदयपुर, बाड़मेर, जालौर, राजसमंद, करौली, धौलपुर एवं प्रगतिशील सवाई माधोपुर व सिरोही सहित कुल 18 आंचल दिव्य मदर मिल्क बैंक संचालित है।

चिकित्सा मंत्री ने बताया, ‘ स्वास्थ्य विभाग हैल्थ इंडेक्स को सुधारने के लिए संकल्पबद्ध होकर कार्य कर रहा है एवं विशेषरूप से मातृ मृत्यु दर एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए अनेक योजनाएं एवं कार्यक्रम क्रियान्वित किए जा रहे हैं। नवजात के लिए मां का दूध अमृत समान है। नवजात को मां का दूध मिलने से नवजात मृत्युदर में 15 से 20 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है। इसी उद्धेश्य से चिकित्सालय परिसर में आंचल दिव्य मदर मिल्क बैंक प्रारंभ किए गए हैं।

23 हजार माताओं ने दान किया 49 लाख एमएम दूध

मदर मिल्क बैंक में अब तक 23 हजार से अधिक माताओं ने 46 हजार बार में लगभग 49 लाख एमएल दुग्ध दान किया है। इससे लगभग 14 हजार से अधिक नवजात बच्चों को लाभान्वित किया जा चुका है। आंचल मदर बैंक के साथ ही आंचल ब्रेस्ट फीडिंग क्लिनिक सर्विसेज भी शुरू की गई है। इनकी सहायता से 43 हजार माताओं को स्वयं के प्रयास से संतान को स्तनपान कराने में सक्षम बनाया गया है। साथ ही इस योजना के तहत लगभग 2 लाख माताओं को पूर्ण गरिमा के साथ बे्रस्ट फीडिंग हेतु आवश्यक परामर्श प्रशिक्षण एवं सहायता प्रदान की गई है।

क्या हैं आंचल मदर मिल्क बैंक

स्वास्थ्य सचिव एवं मिशन निदेशक नवीन जैन ने बताया कि मदर मिल्क बैंक नवजात शिशुओं और दुग्धदान करने वाली माताओं के लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। अनके प्रसूताएं विभिन्न कारणों से अपने बच्चों को दुग्धपान नहीं करा पाती और उन्हें भी मदर मिल्क के सहयोग से नवजात शिशुओं के लिए दुग्ध दान करने का माध्यम मिला है।

आश्रय पालना स्थल योजना

चिकित्सा मंत्री ने बताया कि नवजात शिशुओं का जीवन बचाने में आश्रय पालना स्थल योजना भी महत्वपूर्ण सिद्ध हुई है। इस योजना के तहत अनचाहे नवजात शिशुओं को झाड़ियों में अथवा विभिन्न स्थलों पर छोड़ने के स्थान पर सुरक्षित रूप से आश्रय पालना स्थल पर छोड़ा जा सकता है। प्रदेश के विभिन्न राजकीय चिकित्सालय परिसर में 68 आश्रय पालना स्थल उपलब्ध हैं। इन पालना स्थलों में 31 जनवरी तक 136 नवजात शिशु प्राप्त किये जा चुके हैं।

चित्तौड़गढ़ को श्रेष्ठ पुरस्कार, यह भी हुए सम्मानित

चित्तौड़गढ़ जिला अस्पताल में संचालित मदर मिल्क बैंक को सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। साथ ही उदयपुर की पार्वती साहू, चित्तौड़गढ़ की सविता चौधरी, पूजा दायमा, डॉ. जयसिंह मीणा, भरतपुर की पुष्पलता टी.एन., अलवर की ममता कंवर, पूनम मलिक व डॉ.अमनदीप मिनहास, चूरू की बबीता चौधरी, बारां व चित्तौड़गढ़ के समस्त स्टाफकार्मिकों सहित अधीक्षण अभियंता मुख्यालय जयपुर के सुनिल सक्सेना, आईवाईसीफ एवं युनिसेफ टीम मैम्बर्स को श्रेष्ठ सेवाओं के पुरस्कृत किया।

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