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राजस्थान का एक हिस्सा रेगिस्तान कहलाता है यानि सिर्फ और सिर्फ बालू मिट्टी के टीलें जिनके बीच बसें है कुछ लोग। इन धोरों के बीच ही बसा है राजस्थान का एक महानगर जो हर रोज एक नई ईबारत लिखने की काबिलियत रखता है। धोरों के बिना राजस्थान का अस्तित्व ही नही होता, इसीलिय जब धोरों की बात आती है तो जोधपुर का नाम सबसे पहले आता है। जोधपुर के इन धोरों की मिट्टी से अब जल्द ही डीजल और पेट्रोल बनाने का जरिया बनेगी। जीहां, जोधपुर की मिट्टी से अब हमारे वाहनों को गति मिलेगी वो भी सस्ती। जोधपुर स्थित आईआईटी के साइंटिस्टों ने राजस्थान की मिट्टी को उत्प्रेरक के रूप में इस्तेमाल करने में सफलता हासिल की है। इस मिट्टी से सस्ता बायो डीजल और पेट्रोल बनाया जाएगा।

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सस्ता और किफायती ईंधन बनाएंगे हमारे वैज्ञानिक

दरअसल, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस मिट्टी में पाए जाने वाले कुछ गुणों को इस्तेमाल करने का तरीका इजाद किया है। रेगिस्तान की बालू मिट्टी का संगठन अन्य मिट्टी से मजबूत होता है। यह मिट्टी बहुत अधिक तापमान को आसानी से सहन कर सकती है तथा सतही क्षेत्र घना होने के कार्य यह मिट्टी कई रसायनों को शोंख लेती है। इसके बाद इस मिट्टी को गर्म करने पर यह उन्हे वापस छोड़ देती है। इस प्रकार से आईआईटी के साइंटिस्ट हमारे लिए बेहतर और सस्ता डीजल पेट्रोल तैयार कर रही है। इससे राजस्थान भी सस्ता बायो ईंधन बनाने वाला प्रदेश बन जाएगा जो कि देश और एशिया में अभी तक कहीं नही हुआ है।

यूरोपिए देशों से भी सस्ता बनेगा हमारा डीजल-पेट्रोल

देश अभी तक खाड़ी देशों को ईंधन का आयात करता है जो कि भारत में बेहद महंगा मिलता है। अभी तक यूरोपीए देशों ने ही कोई को बायो ईंधन में परिवर्तित किया था लेकिन इन देशों को यह चीन से आयात करना पड़ता था जो कि काफी महंगा साबित हो रहा था। राजस्थान के रेगिस्तान में मिट्टी का कोई मुल्य नही है ऐसे में इस मिट्टी में डाले जाने वाले कोबाल्ट और निकल भी प्रदेश में प्रचूर मात्रा में पाएं जाते है। इससे यूरोपिए देशों की तुलना में राजस्थान का बायो ईंधन कापी सस्ता होगा। इस बायो डीजल का वाणिज्यिक उत्पादन करके भविष्य में वाहनों में उपयोग किया जा सकेगा। आईआईटी जोधपुर ने इसके लिए प्रोसेस पेटेंट भी हासिल किया है।