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बुद्ध पूर्णिमा
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बुद्ध पूर्णिमा

आज बुद्ध पूर्णिमा है। आज ही के दिन भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। आज ही के दिन भगवान बुद्ध को बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी और इसी दिन उन्हें गोरखपुर से 50 किलोमीटर दूर स्थित कुशीनगर में महानिर्वाण की ओर प्रस्थान किया था। इसलिए वैशाख मास की पूर्णिमा को बौद्ध मतावलंबी गौतम बुद्ध की जयंती को धूमधाम से मनाते हैं। इस शुभ दिन के अवसर पर राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने प्रदेशवासियों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई दी है। साथ ही महात्मा बुद्ध के सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात कर सामाजिक समरसता में अहम योगदान देने का आव्हान भी किया है।

महात्मा बुद्ध भगवान विष्णु के अवतार

बुद्ध पूर्णिमा का पर्व बुद्ध के आदर्शों और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, महात्मा बुद्ध को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है। बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया के कई अन्य देशों में भी पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल थाईलैंड, मलयेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं। श्रीलंका में इस दिन को ‘वेसाक’ के नाम से जाना जाता है, जो निश्चित रूप से वैशाख का ही अपभ्रंश है।

बुद्ध पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 29 अप्रैल 2018 को सुबह 6:37 बजे से शुरू होकर 30 अप्रैल 2018 को 6:27 बजे खत्म होगा। हिंदू धर्म में हर त्योहार उदया तिथि को ही मनाया जाता है, इसलिए बुद्ध पूर्णिमा भी 30 अप्रैल, सोमवार को मनायी जाएगी।

बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप जलाते हैं। रंगीन पताकाओं से सजावट की जाती है और बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।

महात्मा बुद्ध ने हमेशा मनुष्य को भविष्य की चिंता से निकलकर वर्तमान में खड़े रहने की शिक्षा दी। उन्होंने दुनिया को बताया आप अभी अपनी जिंदगी को जिएं, भविष्य के बारे में सोचकर समय बर्बाद ना करें। बिहार के बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उनके ज्ञान की रौशनी पूरी दुनिया में फैली। भविष्य की चिंता में डूबे रहते हैं। दोनों दुखदायी हैं।

सत्य विनायक पूर्णिमा भी मनायी जाती है इस दिन

हिंदू धर्म में वैशाख पूर्णिमा को ‘सत्य विनायक पूर्णिमा’ के तौर पर भी मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने उनसे मिलने पहुंचे उनके मित्र सुदामा को सत्य विनायक व्रत करने की सलाह दी थी, जिसके प्रभाव से उनकी दरिद्रता समाप्त हो सकी। इसके अलावा इस दिन ‘धर्मराज’ की पूजा का भी विधान है। धर्मराज की इस दिन पूजा-उपासना से साधक को अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता है।

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