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भारतीय राजनीति के वर्तमान कालखंड को यदि भाजपामय युग कहे तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए। आज देश में केंद्रीय सत्ता के साथ-साथ सत्रह राज्यों में भाजपा की सरकार है। देश के अन्य राज्यों में भी भाजपा का तेजी से प्रभाव बढ़ रहा है। वर्तमान के देश के सभी शीर्ष पदों पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी काबिज़ है। प्रधानमन्त्री के तौर पर नरेंद्र मोदी देश का शासन चला रहे हैं। लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन है। इसी के साथ हाल ही में राष्ट्रपति पद पर रामनाथ कोविंद ने कार्यभार संभाला है। कुल मिलकर कहे तो भारत के संवैधानिक प्रधान कहे जाने वाले राष्ट्रपति पद पर रामनाथ कोविंद के रूप में भाजपा और संघ का अगुआ व्यक्ति आसीन है। देश के राजनैतिक प्रधान हमारे प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी भी संघ और भाजपा कार्यकर्ता के जीवन से आगे बढ़े हैं। भारत की संसद के निम्न सदन लोकसभा अध्यक्ष पर विराजित सुमित्रा महाजन भी भाजपा प्रतिनिधि है। इस तरह देखे तो देश के तीनों शीर्ष पदों पर अब भाजपा का एकछत्र है। इसी के साथ राज्यसभा सभापति के रूप में भारत का अगला उपराष्ट्रपति भी भाजपा से ही बनना तय है।

वेंकैया का उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय:

अपने जीवन के प्रारंभिक दिनों से संघ के समर्पित सदस्य रहे वेंकैया नायडू को भाजपा ने उपराष्ट्रपति पद के लिए दावेदार बनाया है। इस पद पर चुनाव 5 अगस्त को होने वाले है। वेंकैया नायडू का जीतना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि एकजुटता के बाद भी विपक्ष के पास अपने प्रत्याशी को जिताने लायक वोट नहीं है। छात्रजीवन से ही संघर्ष के बूते राजनैतिक सफलता की सीढ़ी चढ़, इस मुकाम तक पहुंचे वेंकैया नायडू का जीवन बहुत प्रेरणास्पद है।आरएसएस से उनके जुड़ाव की संजीदगी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नायडू अपनी बाल्यावस्था में संघ के कार्यालय में ही रहते थे। वर्तमान में वेंकैया नायडू राज्यसभा सांसद के तौर पर राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

भाजपा की सबसे मज़बूत स्थिति:

भारत की राजनीति के परिदृश्य में कांग्रेस का शासन तो बरसों तक रहा है, लेकिन यह समय भारतीय जनता पार्टी का स्वर्णयुग है। साल 1977 में प्रधानमन्त्री इंदिरा गाँधी को सत्ता से उखाड़ फेंकने वाले जनसंघ ने वहीँ से अपना राजनैतिक आधार तैयार कर लिया था। लेकिन केंद्र में पहली बार सरकार प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में बनी। उसके बाद 10 साल तक सत्ता से महरूम रह, 2014 में गठबंधन राजनीति के सिलसिले को तोड़ते हुए भाजपा अपने दम पर केंद्रीय सत्ता तक पहुंची। देश की सबसे मज़बूत विचारधारा और पार्टी का अब तक का यह सबसे मज़बूत समय है।