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भारतीय जनता पार्टी का 38वां स्थापना दिवस
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भारतीय जनता पार्टी का 38वां स्थापना दिवस

आज भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस है। बीजेपी एक राष्ट्रीय पार्टी है जो हिन्दुत्व के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त करती है और नीतियाँ ऐतिहासिक रूप से हिन्दू राष्ट्रवाद की पक्षधर रही हैं। पार्टी सामाजिक रूढ़िवाद की समर्थक है और इसकी विदेश नीति राष्ट्रवादी सिद्धांतों पर केन्द्रित है। यूं कहें तो बीजेपी की स्थापना 6 अप्रैल, 1980 को हुई लेकिन भारतीय राजनीति में यह पार्टी अचानक प्रकट नहीं हुई। असल में भारतीय जनता पार्टी वास्तव में भारतीय जनसंघ पार्टी का ही पुनर्जन्म था।

भारतीय जनसंघ भारत का एक पुराना राजनैतिक दल था जिसकी शुरूआत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी द्वारा 21 अक्टूबर, 1951 को दिल्ली में की गई थी। इस पार्टी का चुनाव चिह्न दीपक था। इस पार्टी ने देश में पहली बार हुए 1952 के संसदीय चुनाव में 2 सीटें प्राप्त की थी। श्यामा प्रसाद आजाद भारत की पहली कैबिनेट का हिस्सा थे।

1957 के दूसरे लोकसभा चुनाव में भी भारतीय जनसंघ ने हिस्सा लिया। इस चुनाव में बीजेएस को 5 सीटें मिलीं और अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार सांसद बने।

1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव में जनसंघ को बड़ी बढ़त मिली और पार्टी ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की।

1967 के चौथे लोकसभा चुनाव में जनसंघ ने एक बार फिर बड़ी छलांग लगाई। इस बार पार्टी के 32 सांसद जीतकर आए। चुनाव के एक साल बाद 1968 में जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी का निधन हो गया और 1969 में अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष चुने गए।

1971 में पांचवीं लोकसभा के चुनावों में भारतीय जनसंघ के 23 सांसद जीतकर केबिनेट में आए।

1973 में पार्टी की कमान लाल कृष्ण आडवाणी को मिली। इंदिरा गांधी के आपातकाल के फैसले के खिलाफ कई लोकतांत्रिक और राष्ट्रवादी राजनीतिक दल एक साथ आ गए। भारतीय जनसंघ और दूसरे कई दलों के इस महागठबंधन को ‘जनता पार्टी’ का नाम दिया गया।

1977 में 6वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए। इस चुनाव में कांग्रेस और इंदिरा गांधी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। जनता पार्टी को 302 सीटें मिलीं और मोरारजी देसाई भारत के प्रधानमंत्री बने। अटल बिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री और लाल कृष्ण आडवाणी को सूचना एवं प्रसारण मंत्री की जिम्मेदारी मिली। लेकिन महागठबंधन का ये फॉर्मूला एक कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाया। आंतरिक कलह के चलते 30 महीनों के भीतर ही जनता पार्टी का विघटन हो गया और कई पार्टियों ने समर्थन वापस ले लिया। मोरारजी देसाई ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

1979 में चौधरी चरण सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। कांग्रेस ने चरण सिंह को समर्थन का वादा किया लेकिन सदन में बहुमत साबित करने से पहले ही कांग्रेस मुकर गई। नतीजा ये हुआ कि जनवरी,1980 में फिर से चुनाव कराए गए।

1980 में 7वीं लोकसभा का चुनाव भारतीय जनसंघ ने जनता पार्टी के नाम पर ही लड़ा, जबकि चौधरी चरण सिंह ने जनता पार्टी (एस) पार्टी के नाम पर चुनाव लड़ा। जनसंघ के साथ जनता पार्टी को महज 31 सीटों पर जीत मिली जबकि कांग्रेस ने 353 सीटों के साथ सरकार बनाई और यहीं से भारतीय जनता पार्टी की नीव रखी गई।

6 अप्रैल, 1980 को अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया। हालांकि 8वें लोकसभा चुनाव-1984 में बीजेपी को महज 2 सीटें मिलीं। 1986 में लालकृष्ण आडवाणी ने पार्टी के अध्यक्ष के रूप में कमान संभाली।

1989 में 9वीं लोकसभा के चुनाव में बीजेपी ने अप्रत्याशित बढ़त दर्ज करते हुए 89 सीटें जीतीं। बीजेपी ने जनता दल को समर्थन देकर वीपी सिंह की सरकार बनवाई। 1991 में मुरली मनोहर जोशी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

1991 में 10वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 121 सीटें जीतने के बावजूद बहुमत के अभाव में किसी पार्टी की सरकार न बन सकी। बाद में कांग्रेस के समर्थन से पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में सरकार बनी।

1993 में पार्टी की कमान एक बार फिर लालकृष्ण आडवाणी ने संभाली।

1996 के 11वें लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और 163 सीटों पर जीत दर्ज की। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की केंद्र में सरकार बनी. लेकिन बहुमत न होने के कारण केवल 13 दिनों में ही सरकार गिर गई।

1998 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने कांग्रेस को करारी शिखस्त दी और पार्टी के 183 जीतकर सांसद पहुंचे। अटल बिहारी वाजपेयी एक बार फिर देश के प्रधानमंत्री बने लेकिन किन्ही कारणों से सरकार गिर गई और 1999 में फिर से चुनाव हुए। फिर अटल बिहारी वाजपेयी देश के पीएम बने।

2004 में 14वीं लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इंडिया शाइनिंग का नारा दिया लेकिन इसके बाद भी पार्टी को शिकस्त झेलनी पड़ी। पार्टी को केवल 144 सीटें मिलीं। कांग्रेस ने डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार बनाई।

2005 में राजनाथ सिंह ने पार्टी का नेतृत्व संभाला लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा का जादू नहीं चला। बीजेपी के केवल 119 सांसद चुनकर संसद में आए।

2010-13 तक नितिन गडकरी ने पार्टी की कमान संभाली। 2014 में हुए 16वीं लोकसभा चुनाव से एक साल पहले राजनाथ सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया। पार्टी ने नरेंद्र मोदी के नाम पर अमित शाह जैसे रणनीतिकार के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और पहली बार केंद्र में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। नरेन्द्र मोदी को इस बार देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।

लोकसभा में अप्रत्याशित जीत के बाद अमित शाह को पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है जिन्होंने साल 2018 में अपने लंबे राजनीति अनुभव के दम पर विकास का शिखर छूते हुए देश के 22 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की पूर्ण या सहयोगी दलों की सरकार बनाने में सफलता हासिल की है।

2019 में 17वां लोकसभा चुनाव होना है और पार्टी की कमान पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के हाथों में होगी। नरेन्द्र मोदी फिर से देश के प्रधानमंत्री की बागड़ोर अपने हाथों में लेंगे।

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