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बाड़मेर में स्थापित होने वाली ऑयल एंड गैस ​रिफाइनरी देश की पहली ईको फ्रेंडली रिफाइनरी होगी। रिफाइनरी को लेकर राजस्थान सरकार, केन्द्र सरकार व एचपीसीएल के बीच एमओयू मंगलवार को हुआ। इस दौरान मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, केन्द्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान सहित पांच विभागों के मंत्री व एचपीसीएल के चेयरमैन मौजूद थे।

4 सालों में बनकर तैयार होगी हमारी रिफाइनरी

कार्यक्रम में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस रिफोइनरी का इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में सबसे बेहतर होगा। भारत में अब तक 20 से अधिक ऑयल एंड गैस रिफाइनरी हैं। राजस्थान में स्थापित होनेवाली रिफाइनरी चार वर्ष में तैयार हो जाएगी। इस रिफाइनरी से कोटा शहर तक पाइपों के द्वारा एलपीजी गैस पहुंचाई जाएगी, जिससे गैस का वितरण घरों तक पाइपों के द्वारा हो सके। इस कदम को प्रदूषण कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
अब नही रहा चुनावी मुद्दा
कार्यक्रम में वसुंधरा राजे ने कहा कि रिफाइनरी चार साल से हमारी सरकार का सपना रहा है। विपक्ष इसे चुनावी मुद्दा बनाना चाह रहा था। अब ये मुद्दा उनसे छिन चुका है। अभी तक भारत में बीएस-3 व बीएस-4 मानकों पर आधारित रिफाइनरीज हैं, लेकिन राजस्थान में स्थापित होनेवाली रिफाइनरी बीएस-6 मानक वाली होगी। गौरतलब है ​इस रिफाइनरी के लिए पिछले माह ही राजस्थान विधानसभा में मुख्यमंत्री ने नए प्रस्तावों के साथ एचपीसीएल के साथ एमओयू साइन करने की घोषणा की थी। जिसके बाद पचपदरा में प्रस्तावित रिफाइनरी के मूर्त रूप लेने की संभावनाओं को बल मिला था।

प्रदेश को मिलेगा 34 हजार करोड़ का अतिरिक्त राजस्व
पचपदरा में बनने वाली रिफाइनरी करीब 42 हजार करोड़ की लागत से तैयार होगी। सरकार के अनुसार नए एमओयू के साइन होने के बाद राज्य सरकार पर लागत का भार करीब 16 हजार 845 करोड़ रुपए आएगा। यह रिफाइनरी करीब 90 लाख टन क्षमता की होगी। इस रिफाइनरी में 30 साल तक उत्पादन होगा। उत्पादन के दौरान राज्य करीब 34 हजार करोड़ की अतिरिक्त आय होगी। राजस्थान सरकार के लिए वित्तीय लिहाज से नया एमओयू सीधे तौर पर 39195 करोड़ रुपए का फायदा करवाएगा। इसमें एचपीसीएल को 15 वर्ष तक दिए जाने वाले ब्याज मुक्त ऋण की राशि का अहम स्थान है।

रिफाइनरी की लागत घटी, वित्तिय भार हुआ कम

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजस्थान विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान कह चुकी हैं कि नए मसौदे से वित्तीय भार बेहद कम होगा। इन वर्षों में रिफाइनरी की लागत बढ़ने बावजूद वित्तीय भार दो तिहाई घटकर करीब 20583 करोड़ रुपए रह जाएगा। भाजपा सरकार के अनुसार पिछली कांग्रेस सरकार के एमओयू से ताजा एमओयू के जरिए 2 तिहाई वित्तीय भार घटेगा, जो 56040 करोड़ रुपए से घटकर 16845 करोड़ रुपए होगा।
रिफाइनरी से निकलने वाले पेटकॉक से बनेगी 250 मेगावॉट बिजली। जिसमें केयर्न एनर्जी से उत्पादित तेल रिफाइन किया जाएगा। साथ ही बाहर से आयातित तेल को भी इसमें रिफाइंड किया जाएगा।