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महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत लक्ष्य से अधिक परिवारों को रोजगार दिया गया है। साल 2016-17 में परिवारों को रोजगार देने में लक्ष्य की अपेक्षा 22 प्रतिशत अधिक उपलब्धि हासिल करते हुए पूर्व वित्तीय वर्ष की तुलना में 65 प्रतिशत ज्यादा राशि का व्यय किया गया है। साथ ही स्थाई सम्पत्तियों के निर्माण पर विशेष ध्यान देते हुए सामग्री मद में गत वर्ष की तुलना में लगभग तीन गुना तथा श्रम मद में डेढ़ गुना से अधिक राशि का व्यय किया गया है। नरेगा श्रमिकों को समय पर भुगतान की व्यवस्था में भी काफी सुधार आया है।

32.96 लाख मानव दिवस हुए सृजित

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के समन्वयक सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि जिले में वर्ष 2016-17 में 32.96 लाख मानव दिवस सृजित करने के लक्ष्य के विरुद्ध 45.61 लाख मानव दिवस सृजित करते हुए एक लाख 17 हजार परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसके लिए योजना राशि मद में 87.05 करोड़ की राशि का व्यय किया गया है, जो गत वर्ष की तुलना में 165 प्रतिशत है।

स्थाई सम्पति निर्माण पर फोकस

महाजन ने बताया कि जिले में वर्ष 2016-17 में टिकाऊ प्रकृति के कार्यों पर विशेष फोकस करते हुए आंगनबाड़ी केन्द्र, पंचायत भवन, पशु आश्रय स्थल (कैटल शेड) व खाद्य गोदाम जैसी स्थाई परिसम्पतियों का निर्माण कराया गया है। उन्होंने बताया कि इन परिसम्पतियों के लिए श्रम मद में 61.04 करोड़ रुपये का व्यय किया गया है, जो गत वर्ष से 57 प्रतिशत अधिक है। जबकि सामग्री मद में 15.38 करोड़ का व्यय हुआ है तो विगत वर्ष की तुलना में 292 प्रतिशत है।

समय पर भुगतान व्यवस्था में सुधार

महात्मा गांधी नरेगा के तहत श्रमिकों को समय पर भुगतान करने के निर्देर्शों के तहत कार्य पूरा होने के 15 दिवस की अवधि में भुगतान करने में भी जिले में वर्ष 2016-17 में भी काफी सुधार हुआ है। वित्तीय वर्ष के दौरान 76.11 प्रतिशत नरेगा श्रमिकों को श्रम मद का भुगतान 15 दिवस की अवधि में किया गया, जो गत वर्ष की तुलना में 22.55 प्रतिशत ज्यादा है।